Rafale Update: अंबाला एयरबेस पर 5 राफेल विमानों ने किया लैंड, एयरबेस पर उतरने से पहले हवा में लगाए चक्कर
भारतीय वायुसेना का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप आज अंबाला एयरबेस पहुंच गई है
नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप आज अंबाला एयरबेस पहुंच गई है। फ्रांस से निकलकर 5 राफेल विमान मंगलवार को संयुक्त अरब अमिरात (UAE) के आबूधावी के अल दफ्रा एयरबेस पर रुके थे और अब वहां से भारत के लिए उड़ान भर चुके थोड़ी देर पहले अंबााला एयेरबेस पर लैंड कर चुके हैं।
पांचों विमान लगभग सवा तीन बजे अंबाला एयरबेस पर लैंड कर गए हैं। इस मौके पर एयरफोर्स चीफ युद्धक विमानों को रिसीव किया। एयरफोर्स चीफ भदौरिया ने 2016 में 60 हजार करोड़ रुपये के देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे को फाइनल करने में अहम भूमिका निभाई थी।
अधिकारियों ने कहा कि पांच राफेल विमान सोमवार की शाम को करीब सात घंटों की उड़ान के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफरा हवाईअड्डे पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि फ्रांस से भारत पहुंचे इन लड़ाकू विमानों के लिये यही एक स्टॉपेज था। राफेल विमान उस गोल्डन एरोज स्क्वॉड्रन का हिस्सा होगा जिसकी कमान 1999 कारगिल युद्ध के दौरान पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने संभाली थी।
राफेल की आगवनी को लेकर अंबाला जिला प्रशासन ने अंबाला एयर फोर्स स्टेशन के आसपास के इलाके में धारा 144 लगा दी है। वहां आसपास किसी भी तरह की फोटोग्राफी वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही वहां 4 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर भी मनाही है। बुधवार (29 जुलाई) को भारत आने वाले राफेल विमानों को लेकर यह फैसला लिया गया है।
Image Source : India in France/Twitter
फ्रांस से भारत पहुंचे पांच राफेल लड़ाकू विमानों में एक फ्रांसीसी टैंकर ने 30 हजार फुट की ऊंचाई पर बीच हवा में ही ईंधन भरा। फ्रांस में भारतीय दूतावास द्वारा मंगलवार को जारी तस्वीरों में यह जानकारी दी गई थी।
भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिले हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है। भारतीय वायुसेना पहले ही वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अपने अहम हवाई ठिकानों पर अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुकी है।
भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये 23 सितंबर 2016 को फ्रांस की विमानन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डसो एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था। राफेल विमानों की पहली स्क्वाड्रन को अंबाला वायुसैनिक अड्डे पर तैनात किया जाएगा।
क्यों अंबाला में ही तैनात किया जा रहा है राफेल?
आखिर वायुसेना ने क्यों पहले 5 राफेल विमानों को अंबाला एयरबेस में तैनात करने की योजना बनाई है? इस सवाल का जवाब भारत के सामने रक्षा चुनौतियां और उन चुनौतियों से निपटने में अंबाला के महत्व से मिल जाता है। मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर (LoC) तथा लद्दाख में भारत और चीन बॉर्डर पर मुख्य चुनौती है। अंबाला से यह दोनो जगह काफी नजदीक हैं। LaC के उस पार चीन का जो नजदीकी एयरबेस उसकी अंबाला से लगभग 300 किलोमीटर दूरी है जबकि अंबाला के पास पाकिस्तान के नजदीकी एयरबेस की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। जरूरत पड़ने पर राफेल विमान मिनटों में इन दोनो एयरबेस को अपना निशाना बना सकता है। चीन और पाकिस्तान के पास इस समय जो एडवांस लड़ाकू विमान हैं उनके मुकाबले राफेल काफी एडवांस है। पाकिस्तान के पास फिलहाल F-16 विमान सबसे एडवांस है और उसे पिछले साल फरवरी में भारतीय पायलट अभिनंदन ने मिग वायसन से ही गिरा दिया था। चीन के पास सबसे एडवांस J-20 लड़ाकू विमान है, चीन इसे दुनिया का सबसे एडवांस लड़ाकू विमान बताता है। लेकिन चीन के इस विमान के साथ दिक्कत ये है कि इसे दुनियाभर में किसी भी लड़ाई में टेस्ट नहीं किया गया है। जबकि दूसरी ओर राफेल को दुनियाभर में कई लड़ाइयों में आजमाया जा चुका है।