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Hindi News भारत राष्ट्रीय देश के महान खगोलशास्‍त्री गोविंद स्वरूप का निधन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

देश के महान खगोलशास्‍त्री गोविंद स्वरूप का निधन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

देश के महान वैज्ञानिक और रेडियो खगोलशास्त्री गोविंद स्वरूप का सोमवार की रात 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

<p>radio astronomist scientist govind swarup dies in...- India TV Hindi Image Source : TWITTER radio astronomist scientist govind swarup dies in pune

नई दिल्‍ली। देश के महान वैज्ञानिक और रेडियो खगोलशास्‍त्री गोविंद स्वरूप का सोमवार की रात 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे महाराष्ट्र के पुणे में एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केंद्र (एनसीआरए) ने एक बयान में उनके निधन की जानकारी दी। एनसीआरए ने कहा, 'हम बेहद भारी मन से यह घोषणा करते हैं कि हमारे विख्यात वैज्ञानिक एवं महान रेडियो खगोलशास्त्री प्रोफेसर गोविंद स्वरूप का सोमवार की रात नौ बजे निधन हो गया।' 

गोविंद स्वरूप के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख व्यक्त किया है। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि प्रोफेसर गोविंद स्वरूप एक असाधारण वैज्ञानिक थे। रेडियो खगोल विज्ञान में उनके अग्रणी कार्यों ने दुनिया भर में काफी प्रशंसा प्राप्त की है। उनके निधन से मैं बेहद दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवारजनों और प्रिय लोगों के साथ हैं। 

गोविंद स्‍वरूप को रिसर्च में उनके महत्‍वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। गोविंद स्‍वरूप ने पुणे के पास दुनिया के सबसे बड़े टेलीस्‍कोप में से एक जाएंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्‍कोप को स्‍थापित किया था। उन्‍होंने ऊटी में एक बड़े रेडियो टेलीस्‍कोप की भी स्‍थापना की थी। उनके इस योगदान से भारत रेडियो खगोलशास्‍त्र के क्षेत्र में रिसर्च करने वाले देशों की सूची में शामिल है। गोविंद स्‍वरूप को उनके उत्‍कृष्‍ट कार्य के लिए पद्मश्री भी मिल चुका है। उन्‍हें भटनागर अवॉर्ड और ग्रोट रेबर मेडल भी मिला है।

स्‍वरूप का जन्‍म 1929 में ठाकुरवाड़ा में हुआ था। वे 1950 में इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय से एमएससी करने के बाद 1961 में स्‍टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने गए थे। इसके बाद वह 1963 में भारत लौटे। लौटने के बाद उन्‍होंने टाटा इंस्‍टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च जॉइन किया। उन्‍हें इसका आमंत्रण होमी भाभा ने दिया था। यहां उन्‍होंने एक रेडियो एस्‍ट्रोनॉमी ग्रुप बनाया। जो आज भी मौजूद है।

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