नई दिल्ली: भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के नेता शुक्रवार को आमने-सामने होंगे। मौका होगा क्वाड (चतुष्पक्षीय) शिखर सम्मेलन का। आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन और जापान के पीएम योशिहिडे सुगा शुक्रवार को वर्चुअल तरीके से इस चर्चा में शामिल होंगे। खास बात है कि चारों देशों के क्वाड समूह की पहली बैठक होगी। क्वाड शिखर सम्मेलन में कोरोना वायरस टीके को लेकर किसी निर्णय पर पहुंचने की संभावना है। बता दें कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के खिलाफ वैश्विक स्तर पर बढ़ रही चिंताओं के बीच चार देशों के गठबंधन क्वाड की बैठक हो रही है।
अमेरिका क्वाड को बेहद गतिशील और क्षमतावान समूह के तौर पर देखता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम क्वाड को बेहद गतिशील और महत्वपूर्ण क्षमता वाले समूह के रूप में देखते हैं। इसलिए हम पारंपरिक क्षेत्रों में सहयोग को प्रगाढ़ करके इसे मजबूती प्रदान करेंगे।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का यह बयान बाइडन प्रशासन में पहली बार मंत्री स्तर पर चतुष्कोणीय वार्ता के कई दिनों बाद आया है।
इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शिखर सम्मेलन पेश आ रही अहम चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर प्रयास करने और सहयोग की आदत डालने की क्वाड की क्षमता को प्रदर्शित करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दक्षिण कोरिया के क्वाड में शामिल होने के सवाल पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि क्वाड की शुरुआत 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे और भारत के पीएम मनमोहन सिंह ने की थी। इसकी स्थापना एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करने के लिए की गई थी। हालांकि, साल 2008 में सिंह ने कहा था कि भारत, चीन के खिलाफ किसी भी तरह के प्रयासों में शामिल नहीं है। इसके बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया ने खुद को समूह से अलग कर लिया था। इसके बाद साल 2017 में ASEAN सम्मेलन के दौरान यह समूह एक बार फिर सामने आया। शुक्रवार को 2017 में हुई नई शुरुआत के बाद चारों राष्ट्र पहली बार मुलाकात कर रहे हैं।
इस बीच क्वाड मीटिंग की खबर पर चीन ने भी प्रतिक्रिया दी है। चीन का कहना है कि उसे उम्मीद है कि यह चर्चा क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए होगी, न कि इसके 'विरोध' में। भारत की तरह ही चीन भी वैक्सीन कूटनीति में लगा हुआ है। ऐसे में देश ने दावा किया है कि ये वैक्सीन राष्ट्रवाद और वैक्सीन सहयोग के राजनीतिकरण के विरोध में है।
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