बटाला (गुरदासपुर): पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने शनिवार को किसानों से केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने तक सतर्क रहने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी इस बारे में केवल घोषणा की है। बता दें कि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि उनकी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है, जिनका पिछले एक साल से किसान विरोध कर रहे हैं।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यहां एक चीनी मिल की आधारशिला रखने के बाद चन्नी ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के बारे में अभी केवल घोषणा की है और पंजाबियों विशेषकर किसानों को कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त होने तक सतर्क रहने की जरूरत है।''
चन्नी ने शनिवार को कहा कि पंजाब के विकास और समृद्धि को पटरी से उतारने की साजिशें रची जा रही हैं और जो लोग प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा का स्वागत कर रहे हैं, वे भी इसमें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जब तक फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं दी जाती, इन कानूनों को निरस्त करना निराधार है।
आंदोलन की वर्षगांठ मनाने के लिए 26 नवंबर को दिल्ली बॉर्डर पर जुटेंगे किसान, SKM ने किया ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद, शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे। इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर 26 नवंबर को सभी प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में एकत्र होने का आग्रह किया। मोर्चा ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि वह संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा।
चालीस किसान संघों के प्रमुख संगठन एसकेएम ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों की सभी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा तथा सभी घोषित कार्यक्रम जारी हैं। बयान में कहा गया है, "मोर्चा विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों के किसानों से 26 नवंबर, 2021 को विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचने की अपील करता है, उस दिन दिल्ली की सीमाओं पर लगातार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का एक साल पूरा हो रहा है।’’
राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर हजारों किसान तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ पिछले साल 26 नवंबर 2020 से प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं। किसान नेताओं ने कहा कि रविवार को सिंघू बॉर्डर धरना स्थल पर मोर्चा की बैठक में आंदोलन के भविष्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर अंतिम फैसला किया जाएगा।
किसान संगठन ने कहा कि आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर दूसरे राज्यों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ियों की परेड आयोजित की जाएगी। मोर्चा ने बयान में कहा, "दिल्ली से दूर विभिन्न राज्यों में, 26 नवंबर को एक साल पूरा होने पर राजधानियों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड के साथ-साथ अन्य प्रदर्शन किए जाएंगे।’’
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने तीन "काले" कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, लेकिन वह किसानों की अन्य लंबित मांगों पर "चुप रहे।’’ मोर्चा ने कहा, ‘‘किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हुए और भारत सरकार ने उनके बलिदान को स्वीकार तक नहीं किया। इन शहीदों के परिवारों को मुआवजा और रोजगार दिया जाना चाहिए। ये शहीद संसद सत्र में श्रद्धांजलि के हकदार हैं और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए।”
बयान में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर हजारों किसानों को फंसाने के लिये दर्ज मामले बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए। इसमें यह भी कहा गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे।
मोर्चा ने यह भी संकेत दिया कि एमएसपी की वैधानिक गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक वापस लिए जाने की मांग के लिए आंदोलन जारी रहेगा। मोर्चा ने किसानों से 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत में "बड़ी" संख्या में शामिल होने की भी अपील की है।
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