नई दिल्ली: कश्मीर में अमन-चैन पटरी पर लौट रहा है लेकिन पाकिस्तान ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। पाकिस्तान के पाले हुए आतंकी अब कारोबारियों को निशाना बना रहे हैं, मजदूरों को निशाना बना रहे हैं ताकि सरकार पर दबाव डाल सके लेकिन सेना और सरकार तैयार है। गली-गली ढूंढ कर आतंकियों का सफाया किया जा रहा है। अनुच्छेद 370 हटने के दो महीने बाद कश्मीर की गलियों में घूमते हुए लोगों में उम्मीदों की चमक नजर आती है लेकिन पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर के लोगों में नाउम्मीदयों का अंधेरा भरना चाहते हैं। दहशत वाला माहौल बनाना चाहते हैं।
आतंकी सेना का सामना कर नहीं पा रहे हैं इसलिए उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो कश्मीर को एक नए सिरे से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 16 अक्टूबर को शोपियां में पंजाब के सेब व्यापारी की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। उसी दिन पुलवामा में आतंकियों ने सेठी सागर नाम के एक मजदूर को मार डाला। इससे पहले 15 अक्टूबर को राजस्थान से आए एक ट्रक ड्राइवर को आतंकियों ने मार डाला।
जब हुकूमत कश्मीर में आतंकियों की हलचल को समाप्त करने में लगी है तो कुछ स्थानीय आतंकी माहौल को बिगाड़ने की साजिश में लगे हैं लेकिन सेना जानती है उसका इलाज क्या है। अनंतनाग में आतंकी अबु हन्नान, जाहिर अहमद लोन और आकिब अहमद को सुरक्षाबलों ने मार डाला। घाटी के लोगों की उम्मीद जब आकार ले रही है तो आतंकी डर गए हैं इसलिए उन लोगों को निशाना बना रहे हैं, जो कारोबार करते हैं, नौकरी करते हैं, मजदूरी करते हैं।
कश्मीर में अक्टूबर और नवंबर का महीना सेब के व्यापार का सबसे मुफीद महीना होता है। करोड़ों का कारोबार होता है लेकिन आतंकियों ने व्यापारियों के बीच एक भय पैदा करने की कोशिश की है। हलांकि सेना ने भरोसा दिलाया है कि वो सेब व्यापारियों को पूरी सुरक्षा देगी। किसानों की मेहनत बेकार नहीं जाएगी।
कश्मीर के लोग बदली हुई फिजा में अपना बदला हुआ मुकद्दर देखते हैं। 70 साल से लोगों की नजरों में जो निराशा थी, वो अब छटने लगी है। नई व्यवस्था में लोग अपने अरमानों की उड़ान देख रहे हैं लेकिन कुछ आतंकी है जो अरमानों को रौंदना चाहते हैं। सेना और सरकार दो मोर्चों पर लड़ रही है, एक नई व्यवस्था को बनाने में और दूसरा आतंकियों के दिमाग में पाकिस्तानी सोच को कुचलने में।
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