नई दिल्ली। एक साल हो चला है, लेकिन देशवासियों के दिल में अभी भी पुलवामा हमले के जख्म भरे नहीं हैं। पिछले साल जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर एक आत्मघाती हमलवार ने दोपहर सवा तीन बजे विस्फोटकों से लदी हुई कार सीआरपीएफ के काफिले में टकरा दी, जिस वजह से हुए विस्फोट में 44 से ज्यादा जवानों शहीद हो गए और करीब इतने ही घायल हो हए।
JeM ने ली हमले की जिम्मेदारी
पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने इस नृशंस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली और आत्मघाती हमलावर का एक वीडियो जारी किया, जिसे हमले से पहले शूट किया गया था। हमलावर की पहचान कमांडर आदिल अहमद दार के रूप में हुई है। यह हमला श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर लेथपोरा इलाके में हुआ।
काफिले में थे 78 वाहन
14 फरवरी के दिन सीआरपीएफ के 78 वाहनों के काफिले में 2,547 सीआरपीएफ जवान जम्मू के ट्रांजिट शिविर से श्रीनगर की ओर जा रहे थे, तभी श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर लेथपोरा इलाके में दोपहर करीब सवा तीन बजे आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया। सीआरपीएफ की जिस बस में टक्कर मारी, उससे बहरा कर देने वाला विस्फोट हुआ। हमला इतना जबरदस्त था कि सीआरपीएफ बस के परखच्चे उड़ गए।
पूरे देश में हुए प्रदर्शन
पुलवामा में हुए इस कायराना हमले के बाद पूरे देश में आतंकवाद विरोधी प्रदर्शन देखने को मिले। देश के कोने-कोने से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की जाने लगी। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवादियों ने अपनी 'सबसे बड़ी गलती' की है और इस कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों को इसका अंजाम भुगताना होगा।
पाकिस्तान से छीना 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा
पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में टेंशन बढ़ गई। हमले के अगले ही दिन तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पाकिस्तान को दिया गया 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा वापस ले लिया गया है। इतना ही नहीं, भारत ने पाकिस्तान से आनेवाले और पाकिस्तान में बने सभी सामानों पर 200 फीसदी का आयात शुल्क लगा दिया।
इनपुट- IANS
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