श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केन्द्र से गुरुवार को होने वाले पीएसएलवी-सी44 के प्रक्षेपण के लिए 16 घंटे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भारतीय ध्रुवीय रॉकेट पीएसएलवी-सी44 छात्रों द्वारा विकसित कलामसैट और पृथ्वी की तस्वीरें लेने में सक्षम माइक्रासैट-आर को लेकर उड़ान भरेगा। कलामसैट का नामकरण देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर किया गया है. कलामसैट दुनिया का सबसे छोटा सैटेलाइट है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर से जारी मिशन अपडेट के अनुसार, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से शाम सात बजकर सैंतीस मिनट पर पीएसएलवी-सी44 वाहन के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हो गई। प्रक्षेपण का समय गुरुवार की रात 11 बजकर 37 मिनट तय किया गया है। यह इसरो के पीएसएलवी वाहन की 46वीं उड़ान है।
अधिकारी के मुताबिक पीएसएलवी के एक नए प्रकार के रॉकेट के जरिए 700 किलोग्राम के दोनों उपग्रहों को छोड़ा जाएगा। इसरो के चेयरमैन के सिवान ने पहले बताया था कि वजन को कम करने और पिंड के आकार को बढ़ाने के लिए एल्यूमीनियम के टैंक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
क्या है कलामसैट
कलामसैट एक पेलोड है, जिसे छात्रों और स्थानीय स्पेस किड्स इंडिया ने मिलकर विकसित किया है। पीएसएलएवी में ठोस और तरल ईंधन से चलनेवाले चार स्तरीय रॉकेट इंजिन लगा है। इसे पीएसएलवी-डीएल नाम दिया गया है। पीएसएलवी-डीएल के नए प्रकार के रॉकेट पीएसएलवी-सी44 का यह पहला अभियान है।
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