जम्मू: जम्मू कश्मीर में मार्च महीने की शुरुआत में अवैध आव्रजकों के विरूद्ध चलाए गए विशेष अभियान में जम्मू में 150 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान हिरासत में लिए गए थे। एक सरकारी प्रवक्ता ने बुधवार को जम्मू में बताया कि हिरासत में लिए गए इन रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रवक्ता ने बताया कि ये लोग कठुआ जिले के ‘एक विशेष केंद्र’ में रखे गए हैं जहां उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
6 मार्च को पकड़ में आए थे 150 से ज्यादा रोहिंग्या
प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू के संभागीय आयुक्त राघव लांगेर बुधवार को हीरानगर में इस केंद्र में गए और उन्होंने वहां लोगों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर संतुष्टि प्रकट की। 6 मार्च को शहर में सत्यापन अभियान के दौरान करीब 168 रोहिंग्याओं को अवैध रूप से रहते हुए पाए जाने पर उन्हें इस केंद्र में भेज दिया गया था। बता दें कि रोहिंग्या म्यांमार के बंगाली भाषी मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। उनमें से कई अपने देश में हिंसा के बाद भागकर भारत आ गए। हालांकि रोहिंग्याओं का बड़ा हिस्सा भागकर बांग्लादेश पहुंचा और आज भी इन्होंने वहां लाखों की संख्या में शरण ली हुई है।
जम्मू और सांबा में बसे हुए हैं हजारों अवैध आव्रजक
जम्मू में कई राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों ने केंद्र से रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को वापस भेजने के वास्ते कदम उठाने की अपील की है। ये सभी रोहिंग्या और बांग्लादेशी अवैध रूप से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। इन दलों एवं संगठनों का आरोप है कि उनकी मौजूदगी ‘जनसांख्यिकी चरित्र को बदलने की साजिश’ एवं ‘शांति के लिए खतरा’ है। सरकारी आंकड़े के अनुसार, जम्मू कश्मीर के जम्मू और सांबा जिलों में रोहिंग्या मुसलमानों एवं बांग्लादेशियों समेत 13700 से अधिक विदेशी बसे हुए हैं और उनकी जनसंख्या में 2008 से 2015 के बीच 6000 से अधिक वृद्धि हुई है।
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