नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चार दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया है। उन्होंने 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी दी जाएगी। ऐसे में आपके मन में फांसी को लेकर कई तरह से सवाल हो सकते हैं, जैसे- फांसी कैसे दी जाती है या फांसी की कोठरी कैसी होती है। अगर आपके मन में ऐसे सवाल हैं तो इस रिपोर्ट को आखिर तक पढ़िए, आपको इन सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
कैसे दी जाती है फांसी?
तिहाड़ जेल के पूर्व पीआरओ सुनील गुप्ता ने बताया कि दोषियों को दोनों हाथ पीछे बांधकर फांसी के तख्ते तक लेकर जाया जाता है, फिर तख्ते पर दोनों पैर भी बांध दिए जाते हैं और सिर पर एक थैला डाल दिया जाता है। इसके साथ ही फंदा गले में डाल दिया जाता है और फिर सुप्रिटेंडेंट के संकेत देने पर लीवर खींच दिया जाता है। चार फांसी (निर्भया के दोषियों के संदर्भ में) का एक ही लीवर होगा, जिसे खींचने से फांसी हो जाएगी।
फांसी की कोठरी कैसी होती है?
सुनील गुप्ता ने बताया कि नीचे एक कुआं होता है, जिसकी गहराई 15-16 फीट होती है। उसके ऊपर लकड़ी के फट्टे होते हैं, जो लीवर से जुड़े होते हैं। कैदी को हाथबांधकर लाते हैं और तख्ते पर खड़ा करते हैं। उसके पैर बांधकर और सिरपर थैला डालकर लीवर खींच दिया जाता है, जिससे फट्टे गिरकर कुएं के अंदर चले जाते हैं और आधे घंटे तक कैदी को लटकाकर रखा जाता है।
नहीं बदला फांसी का तरीका
गुप्ता ने कहा कि “मेरी जानकारी के मुताबिक ट्रेडिशनल तरीके से ही अब भी फांसी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने रंगा-बिल्ला के केस में कहा है कि जिस तरह से फांसी दी जाती है उसी तरह से फांसी दी जाएगी।”
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