संशोधित नागरिकता कानून को लेकर दिल्ली, मुंबई, बंगाल में हुई रैलियां, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात
राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड के बावजूद संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में सैकड़ों लोगों ने शुक्रवार को प्रदर्शनों में हिस्सा लिया, वहीं मुंबई में बड़ी संख्या में लोगों ने सीएए के समर्थन और विरोध में रैलियां निकालीं।
नयी दिल्ली/मुंबई: राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड के बावजूद संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में सैकड़ों लोगों ने शुक्रवार को प्रदर्शनों में हिस्सा लिया, वहीं मुंबई में बड़ी संख्या में लोगों ने सीएए के समर्थन और विरोध में रैलियां निकालीं। पश्चिम बंगाल में विपक्षी वाम मोर्चा और कांग्रेस ने विवादास्पद सीएए और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विरोध में एक संयुक्त रैली निकाली। वहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों में अग्रणी रही हैं। उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी में पिछले सप्ताह जुमे की नमाज के बाद सीएए विरोधी प्रदर्शनों के हिंसक होने के मद्देनजर इस शुक्रवार उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए और संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी गई। दिल्ली के पूर्वोत्तर जिले के कुछ इलाकों में फ्लैग मार्च किया गया और शहर के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए।
जामा मस्जिद के अलावा जोर बाग में भी प्रदर्शन हुए और दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों की उत्तर प्रदेश भवन के घेराव की कोशिश नाकाम कर दी और प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने सीएए के खिलाफ आंदोलन करने वालों पर उत्तर प्रदेश में कथित पुलिस अत्याचार के विरोध में शुक्रवार को यहां यूपी भवन के बाहर प्रदर्शन करने का प्रयास करने वाले 350 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) ने उत्तर प्रदेश भवन के ‘घेराव’ का आह्वान किया था। इस समिति में परिसर में सक्रिय विभिन्न राजनीतिक समूहों के छात्र शामिल हैं। उत्तर प्रदेश भवन के पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है। बाद में जेसीसी ने एक बयान में कहा कि पुलिस की कार्रवाई के कारण घेराव नहीं हो पाया और जेसीसी द्वारा तैयार ज्ञापन पत्र सौंपा नहीं जा सका। उसने सरकार की ‘‘बेतुकी कार्रवाई’’ की निंदा की।
पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के पास वहां प्रदर्शन करने की कोई अनुमति नहीं थी। उसने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के निर्देशों का पालन नहीं किया जिसके बाद 75 महिलाओं समेत 357 लोगों को हिरासत में लिया गया और उन्हें मंदिर मार्ग एवं कनॉट प्लेस थानों में ले जाया गया। बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कथित ज्यादती के खिलाफ एक दिवसीय भूख हड़ताल की। पुलिस ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की रिहाई की मांग कर रहे और संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री आवास की ओर जाने से रोक दिया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था एवं ड्रोन विमानों की निगरानी के बीच प्रदर्शनकारियों ने जोरबाग स्थित दरगाह शाह-ए-मर्दान से अपना मार्च शुरू किया। उनमें भीम आर्मी के सदस्य भी शामिल थे। प्रदशर्नकारियों ने अपने हाथ बांध रखे थे। पुलिस ने उन्हें लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास से पहले ही रोक दिया। मस्जिद में शुक्रवार की नमाज अदा करने के बाद कुछ प्रदर्शनकारियों ने मार्च में हिस्सा लिया।
उन्होंने अपने हाथ बांध रखे थे ताकि उन पर इस प्रदर्शन के दौरान हिंसा एवं आगजनी के आरोप नहीं लगाए जा सके। बाबासाहेब आंबेडकर तथा आजाद का पोस्टर ले रखे प्रदर्शनकारियों ने ‘‘तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाए।। जामा मस्जिद में नमाज के बाद यह प्रदर्शन लगभग दो घंटे तक चला। कांग्रेस नेता अलका लांबा और दिल्ली के पूर्व विधायक शोएब इकबाल ने भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया। लांबा ने सरकार पर प्रहार करते हुए कहा, ‘‘देश में असल मुद्दा बेरोजगारी का है लेकिन आप (प्रधानमंत्री) लोगों को एनआरसी के लिए लाइन में खड़ा करना चाहते हैं जैसा नोटबंदी के दौरान किया गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश और संविधान के लिए लोकतंत्र की आवाज उठाना आवश्यक है। केंद्र सरकार तानाशाह नहीं हो सकती और लोगों पर अपना एजेंडा नहीं थोप सकती है।’’ वहीं, पूर्व विधायक इकबाल ने कहा, ‘‘जो लोग हिंसा करते हैं, वे हममें से नहीं हैं। यह आंदोलन है और यह जारी रहेगा। अगर कोई हमारी शांति को भंग करता है तो वह हममें से नहीं है। वह हमारे आंदोलन को भटकाना चाहता है। हम हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे। पिछले शुक्रवार को जो हिंसा हुई, हम उसकी निन्दा करते हैं।’’
मुंबई में संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी के समर्थन तथा विरोध में रैलियां आयोजित की गयीं। छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दक्षिणी मुंबई के आजाद मैदान में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन किया वहीं ऐतिहासिक अगस्त क्रांति मैदान में सीएए के समर्थन में हुयी रैली में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। पिछले हफ्ते इस कानून के खिलाफ इसी मैदान पर एक विशाल प्रदर्शन हुआ था। आजाद मैदान में प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कई प्रदर्शनकारियों के हाथों में बैनर थे जिन पर मोदी सरकार के खिलाफ नारे लिखे हुए थे। अगस्त क्रांति मैदान में भाजपा के संविधान सम्मान मंच द्वारा एक रैली आयोजित की गयी। सीएए के समर्थन में आयोजित इस रैली में लोग हाथों में तिरंगा लिए नजर आए। उन्होंने तख्तियां भी ले रखी थीं जिन पर सीएए और एनआरसी के समर्थन में संदेश लिखे थे। उनके पास डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की तस्वीरें थी। मंच पर वीडी सावरकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, भारत माता और साहू महाराज की बड़ी तस्वीरें भी दिखीं।
संविधान सम्मान मंच शहर के विभिन इलाकों में इस तरह की रैलियां आयोजित कर रहा है। सीएए और एनआरसी के समर्थन में ऐसी एक रैली पिछले हफ्ते दादर में हुई थी। आयोजकों की अगस्त क्रांति मैदान से लेकर गिरगाम चौपाटी स्थित लोकमान्य तिलक प्रतिमा तक समर्थन मार्च की योजना थी लेकिन मुंबई पुलिस ने कानून व्यवस्था के मुद्दों को लेकर उन्हें इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया। गौरतलब है कि 19 दिसंबर को अगस्त क्रांति मैदान में सीएए के विरोध में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। इसमें गैर भाजपा दलों के कार्यकर्ता, छात्र और बॉलीवुड की कई हस्तियां भी शामिल रही थीं। इस मैदान से 1942 में महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा दिया था। महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों की बड़ी उपस्थिति कानून को ‘‘बड़े पैमाने पर समर्थन’’ का संकेत देती है।
फडणवीस ने कहा, ‘‘विपक्षी पार्टियां अफवाह और गलत सूचना (सीएए, एनआरसी के बारे में) फैला रही हैं।’’ रैली में भाग लेने से पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए फडणवीस ने विपक्ष पर भारतीय मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने विभाजन के दौरान किए गए आश्वासन को पूरा नहीं किया कि अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी। इसलिए भारत को उनकी देखभाल करनी होगी क्योंकि वे हमारे लोग हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष जानबूझकर कानून को लेकर भारतीय मुसलमानों के बीच गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहा है। वोट बैंक की राजनीति के लिए विपक्ष अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहा है।
पश्चिम बंगाल में विपक्षी वाम मोर्चा और कांग्रेस ने शुक्रवार को सीएए और एनआरसी के विरोध में एक संयुक्त रैली निकाली। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा और वरिष्ठ वामपंथी नेताओं के नेतृत्त्व में सुबोध मलिक स्क्वायर से लेकर मध्य कोलकाता के महाजाति सदन तक रैली निकाली गई। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ पोस्टर और तख्तियां लेकर कांग्रेस और वाम मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ नारेबाजी की। सीएए का मुद्दा पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। वहीं अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के अनेक खादिमों सहित मुस्लिम समाज के लोगों ने सीएए के विरोध में यहां प्रदर्शन रैली में हिस्सा लिया और केन्द्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग की। दरगाह से शुरू हुई प्रदर्शन रैली भीड़भाड़ वाले दरगाह बाजार से होते हुए कलेक्ट्रेट पर समाप्त हुई।