रतलाम: मध्य प्रदेश में वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई थमती नजर नहीं आ रही है। कुछ दिनों पहले राजधानी भोपाल में हुए कांग्रेस सेवादल के कार्यक्रम में जहां सेवादल ने सावरकर को राष्ट्रद्रोही बताते हुए उनके बारे में छपी हुई विवादास्पद किताब बांटी थी वहीं अब रतलाम जिले के शासकीय मलवासा हाईस्कूल में वीर सावरकर के फोटो वाली कॉपियां बांटे जाने पर उज्जैन संभागायुक्त ने स्कूल के प्रिंसिपल आरएन केरावत को निलंबित कर दिया।
दरअसल, सावरकर की तस्वीरों वाली कॉपियों का वितरण चार नवंबर को किया गया था, लेकिन शिकायत के बाद कार्रवाई अब की गई है। हालांकि, प्रिंसिपल पर की गई कार्रवाई का विरोध भी हो रहा है। संयुक्त मोर्चा सहित मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ प्रिंसिपल के समर्थन में आ गए हैं। उनका मानना है कि प्रिंसिपल केरावत को निलंबित करना गलत है। सरकारी स्कूलों में आए दिन सामाजिक संस्थाएं और व्यक्ति पाठ्यपुस्तक वितरित करते हैं। ऐसे में इसे राजनीति से जोड़ना सही नहीं है।
सावरकर की तस्वीर वाली कॉपी
सावरकर की तस्वीर वाली कॉपी
इंडिया टीवी से बातचीत में प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा 'प्रिंसिपल की ये जवाबदेही थी कि उनकी मौजूदगी में अशासकीय संगठन के लोग कोई भी लिटरेचर बांटते हैं तो उसको उन्हें देखना चाहिए था। उसमे लापरवाही पाई गई इसलिए आयुक्त उज्जैन सम्भाग ने उन्हें निलंबित किया है। वहीं, मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि जब से महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ है तब से मध्य प्रदेश में सावरकर का अपमान किया जा रहा है।
वहीं, 2010 में उत्कृष्ट शिक्षक का राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रिंसिपल आरएन केरावत गणित के विशेषज्ञ हैं। वे राज्य स्तर पर भी राज्यपाल की ओर से सम्मानित हो चुके हैं। खास बात यह है कि शासन के मिशन समर्थ अभियान में एलईडी के माध्यम से केरावत के 36 वीडियो से ही 25 स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है।
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