राष्ट्रपति कोविंद ने किया संसद में अटल बिहारी वाजपेयी के आदम कद चित्र का अनावरण
पिछले साल दिसंबर के आखिरी में पोट्रेट कमेटी की बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी की फोटो सेंट्रल हॉल में लगाने का फैसला लिया गया था।
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का आज संसद भवन के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में लाइफ साइज पोट्रेट लगाया गया है। ये पहला मौका है जब सेंट्रल हॉल में बीजेपी के किसी नेता का पोट्रेट लगा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अटल जी के पोट्रेट का अनावरण किया। अटल जी के इस पोट्रेट को वृंदावन के चित्रकार कृष्ण कन्हाई ने तैयार किया है। पिछले साल दिसंबर के आखिरी में पोट्रेट कमेटी की बैठक में अटल बिहारी वाजपेयी की फोटो सेंट्रल हॉल में लगाने का फैसला लिया गया था। पोट्रेट का अनावरण आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया।
कृष्ण कन्हाई ने कहा, ‘’मैंने करीब 22 दिन की मेहनत के बाद इस पोट्रेट को बनाया है। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे अटल जी जैसी महान विभूति का पोट्रेट बनाने का दोबारा मौका मिला। आज से करीब 17 साल पहले जब वो प्रधानमंत्री थे तब मैंने उनके जन्मदिन पर उनको एक पोट्रेट बना कर गिफ्ट किया था और पार्लियामेंट में जो पेंटिंग लग रही है ये दूसरी पेंटिंग है। उसी पेंटिंग को देखकर मुझे कहा कि आप दूसरी पेंटिंग दीजिए।‘’
संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी समेत आज़ादी के सेनानियों और देश के महापुरुषों के लाइफ साइज पोट्रेट पहले से लगे हुए हैं लेकिन ये पहला मौका है जब संसद के सेंट्रल हॉल में बीजेपी के किसी नेता का लाइफ साइज पोट्रेट लगा है।
करीब पांच दशक तक अटल जी की आवाज संसद के गलियारों में गूंजती रही थी। इन्हीं मेहराबों से अटल जी ने देश की सियासत की तस्वीर बदलने का सपना देखा था और यहीं से निकले बुलंद इरादों ने बीजेपी को शून्य से शिखर तक पहुंचाने का हौसला दिया था। अब उसी संसद भवन के सेंट्रल हॉल की दीवारों पर अटल जी की ज़िंदादिली हमेशा-हमेशा के लिए चस्पा हो जाएगी।
करीब एक दशक तक देश के सियासी फलक से दूर रहे अटल जी 93 साल की उम्र में पिछले साल 16 अगस्त को देश को सिसकता छोड़ गए थे लेकिन अटल जी अमर हैं। वो अब भी देश के 132 करोड़ लोगों के दिलों में हैं क्योंकि अटल अपनों के थे, गैरों के थे, सबके थे, देश के थे। अटल जी जैसा व्यक्तित्व ना कभी था, ना कभी होगा। वो राजनीति के भीष्म पितामह थे।