नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय की गर्भवती महिलाओं को दी गई सलाह चर्चा का विषय बनी हुई है। मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में स्वस्थ्य जच्चा और सेहतमंद बच्चे के लिए सलाह दी है कि गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान शारीरिक संबंध बनाने और मांस का सेवन करने से बचने का सुझाव दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस दौरान उनको बुरी संगत से दूर रहना चाहिए और आध्यात्मिक विचार रखने चाहिए। आयुष मंत्रालय ने मदर एंड चाइल्ड केयर नामक बुकलेट जारी की है जिसमें, ये सलाह दी गई हैं। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
हालांकि, डॉक्टर्स का कहना है कि मांस के सेवन से गर्भावस्था में कोई दिक्कत नहीं होती। इससे प्रोटीन और आयरन मिलता है। अगर गर्भाश्य में कोई दिक्कत न हो तो सेक्स करने में भी कोई बुराई नहीं होती। बुकलेट में सुझाव दिया गया है कि महिलाएं गर्भावस्था के दौरान महान लोगों की कहानी सुनें, गुस्सा न करें और बुरे लोगों की संगत से दूर रहें।
गर्भकाल के दौरान योग और अच्छी खुराक के फायदों के बारे में भी इस बुकलेट में बताया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि इस दौरान महिलाओं को स्वाध्याय करना, अध्यात्मिक विचार, महान हस्तियों की जीवनी पढ़ने आदि में खुद को व्यस्त रखना चाहिए। हालांकि यह बात समझ से परे है कि इन बातों का गर्भावस्था पर क्या असर होता है। अधिकतर सलाह तो ऐसी हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है और जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता।
इस बुकलेट को तैयार करने में शामिल रहे एक डॉक्टर ने कहा कि बुकलेट में बताई गईं बातें केवल सुझाव मात्र हैं। ईश्वर आचार्य अपनी इस बात पर जोर देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान मांसाहारी भोजन से बचा जाना चाहिए और सेक्स से तो बिल्कुल परहेज करना चाहिए। 2014 में सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा की अगुवाई वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया था, ताकि योग को बढ़ावा दिया जा सके।
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