नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राजनीतिक पार्टियों को कहा कि चुनावों के समय मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की बजाय विकास पर ध्यान देना चाहिए। कपड़ा मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘चुनावों के समय मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की बजाय हमें दीर्घकालिक विकास पर ध्यान देना चाहिए, ताकि लोग खुद ही समझ सकें। ये अस्थायी चीजें अस्थायी लॉलीपॉप ही होंगी।’’
मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद, खासकर राज्यसभा, में कामकाज के बारे में उच्च सदन के सभापति नायडू ने कहा कि वह ‘‘अलग-अलग एजेंडा को एक राष्ट्रीय एजेंडा में बदल पाने की अपनी नाकामी से दुखी’’ हैं। नायडू ने कहा, ‘‘संसदीय संस्थाएं प्रतिस्पर्धी एजेंडा की बंधक नहीं बनाई जा सकती। भारतीय संसद, राज्यसभा, दो पार्टियों की प्रतिस्पर्धा के कारण 14 दिनों तक नहीं चल सकी।’’
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का ये बयान ऐसे समय में आया है जब हंगामे की वजह से संसद की कार्यवाही ठप रही और जब मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में किसानों का कर्ज माफ किया गया। कई विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों का मानना है कि कर्ज माफी किसानों की समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए उपराष्ट्रपति ने रेवड़ियां बांटने की बजाय, दीर्घकालिक विकास पर ध्यान देने की बात कही।
(इनपुट-भाषा)
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