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Hindi News भारत राष्ट्रीय समाज को बांटकर पहुंचाई जा सकती है देशहित को ठेस, युद्ध के नए मोर्चे जैसी है ये चुनौती: अजित डोवल

समाज को बांटकर पहुंचाई जा सकती है देशहित को ठेस, युद्ध के नए मोर्चे जैसी है ये चुनौती: अजित डोवल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने ने कहा कि भारत के 32 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के हर हिस्से में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस बलों की है। उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ वही पुलिसिंग ही नहीं जिसमें आप लोगों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है बल्कि इसका भी विस्तार होगा।

Ajit Doval, National Security Advisor- India TV Hindi Image Source : TWITTER/@SVPNPAHYD Ajit Doval,  National Security Advisor

हैदराबाद: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवल ने शुक्रवार को हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के 73वें बैच की पासिंग आउट परेड को संबोधित किया। NSA अजित डोवल ने कहा कि समाज को बांटकर देशहित को ठेस  पहुंचाई जा सकती है और ये चुनौती युद्ध के नए मोर्चे जैसी है। 

अजीत डोवल ने शुक्रवार को कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के अलावा, पाकिस्तान, चीन, म्यांमा और बांग्लादेश जैसे देशों से लगती भारत की 15,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा के प्रबंधन में पुलिस बलों की बड़ी भूमिका है। डोवल ने कहा कि भारत की संप्रभुता तटीय क्षेत्रों से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों तक अंतिम पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र तक जाती है। 

डोवल ने कहा कि भारत के 32 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के हर हिस्से में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस बलों की है। उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ वही पुलिसिंग ही नहीं जिसमें आप लोगों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया है बल्कि इसका भी विस्तार होगा। आप इस देश के सीमा प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होंगे। पंद्रह हजार किलोमीटर की सीमा, जिसमें से ज्यादातर हिस्से की अपनी ही तरह की समस्याएं हैं।’’ 

एनएसए अजीत डोवल ने कहा कि देश में पुलिस बल की संख्या 21 लाख है और अभी तक 35,480 कर्मियों ने बलिदान दिया हैं। डोभाल ने किसी घटना विशेष का उल्लेख किये बिना कहा, ‘‘हम भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के उन 40 अधिकारियों को भी याद करना चाहेंगे जो शहीद हो गए।’’ डोवल ने कहा कि लोकतंत्र का मर्म मतपेटी में नहीं बल्कि कानूनों में निहित होता है जो निर्वाचन प्रक्रिया से चुने गए लोगों द्वारा बनाए जाते हैं। 

उन्होंने कहा, ‘‘जहां कानून प्रवर्तक कमजोर, भ्रष्ट और पक्षपातपूर्ण हैं वहां लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते।’’ डोवल ने कहा कि पुलिस को अन्य संस्थानों के साथ मिलकर काम करना होगा जिसके लिए उन्हें देश की सेवा करने के लिहाज से सकारात्मक सोच की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आंतरिक सुरक्षा विफल होती है तो कोई देश महान नहीं बन सकता। अगर लोग सुरक्षित नहीं हैं तो वे आगे नहीं बढ़ सकते और संभवत: देश भी कभी आगे नहीं बढ़ेगा।’

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