पोखरण परमाणु परीक्षण 22वीं वर्षगांठ: चश्मदीद गांव वालों ने बताई पूरी कहानी, अपनी पैतृक जमीन पर करते हैं नाज
तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी सूझबूझ साहस व दूरदर्शिता दिखाते हुए अमेरिका जैसे देश की जासूसी को धता बताते हुए 11 मई 1998 को खेतोलाई गांव के पास परमाणु परीक्षण करने के बाद दोपहर 4 बजे एलान किया कि 'भारत में बुद्ध मुस्कराए है'।
जयपुर। पोखरण उपखंड के खेतोलाई गांव के पास आर्मी फिल्ड फायरिंग रेंज में भारत द्वारा दूसरी बार 11 मई 1998 को परमाणु परीक्षण किया गया था, जिसकी 22वीं वर्षगांठ पर खेतोलाई व आसपास के लोग ही नहीं बल्कि पूरा देश जश्न मना रहा है। शिक्षाविद् मांगीलाल बिश्नोई ने कहा- परमाणु परीक्षण के 22 साल बाद भी सरकार द्वारा ग्रामीणों के लिए कोई पैकेज की घोषणा नहीं की गई है। परमाणु परीक्षण के बाद मानचित्र में पोखरण के खेतोलाई गांव तो प्रसिद्ध हो गया लेकिन यहां मनुष्यों और पशुओं को मिलने के नाम पर केवल बीमारी या मौत ही मिल रही है, जिसको लेकर ग्रामीण खासे मायूस दिख रहे हैं और कई सालों से मांग कर रहे हैं कि परमाणु परीक्षण के वक्त केन्द्र में भाजपा सरकार थी अब केंद्र में भाजपा सरकार है और राज्य में कांग्रेस की सरकार है। अब खेतोलाई गांव के लोगों की केंद्र सरकार अच्छा पैकेज की घोषणा करने की पूरी उम्मीद है। खेतोलाई गांव के युवाओं ने कहा कि सरकार आरक्षण अलग देकर परमाणु विस्फोट को सहन करने वाले खेतोलाई गांव के युवाओं को सरकारी नौकरियों में विशेष लाभ मिल सके।
पहली बार परमाणु परीक्षण से हिल गए थे विश्व के कई देश
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने 18 मई 1974 के इसी फिल्ड फायरिंग रेंज में लोहारकी गांव के पास पहली बार परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका सहित विश्व के प्रभावशाली देश हिल गये थे। वहीं भारतीय लोगों ने इंदिरा गांधी के इस साहस का जबरदस्त स्वागत करते हुए उन्हें दुर्गा का रूप बताया था। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी सूझबूझ साहस व दूरदर्शिता दिखाते हुए अमेरिका जैसे देश की जासूसी को धता बताते हुए 11 मई 1998 को खेतोलाई गांव के पास परमाणु परीक्षण करने के बाद दोपहर 4 बजे एलान किया कि 'भारत में बुद्ध मुस्कराए है'। इस परीक्षण से नाराज होकर अमेरिका सहित कई देशों ने भारत पर विभिन्न प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए जिसकी परवाह नहीं करते हुए फिर भारत ने 13 मई 1998 को भी खेतोलाई गांव के पास परीक्षण कर डाला था। पोखरण के खेतोलाई की धरती पर हुए परीक्षण के बाद भारत सामरिक दृष्टि से एक सुदृढ़ देश बन गया जिसके पास आज भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश है।
खेतोलाई गांव के निवासियों को परमाणु परीक्षण होने पर नाज है...
एपीजे अब्दुल कलाम ने परीक्षण करने से पहले कई दिनों तक इस भीषण गर्मी में आर्मी की वर्दी में रहकर भारी कठिनाइयों का सामना किया लेकिन हिम्मत नहीं हारी तथा खेतोलाई गांव के ग्रामीणों का कहना है कि फौजी वर्दी में लम्बे-लम्बे बाल के वैज्ञानिक दिनभर गांव में रहते थे। फिर कलाम साहब राष्ट्रपति बनने पर अंग्रेजी अखबार में इन्टवरयू में कहा कि 'आई लव खेतोलाई'। जब ग्रामीणों को पता चला की लम्बे-लम्बे बाल वाले फौजी वर्दी में घुमने वाले कलाम साहब 'मिसाइल मैन' के नाम से फेमस हैं थे तो वो ये जानकर चकित रह गए। कलाम साहब ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के आदेश पर परमाणु परीक्षण कर देश को एक शक्तिशाली देश बनाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री देश की जनता ने उस एहसान के बदले उन्हें देश का राष्ट्रपति बना दिया जो 5 वर्ष तक राष्ट्रपति पद पर रहे। पूरे देश के साथ खेतोलाई गांव के निवासियों को अपनी पैतृक जमीन पर परमाणु परीक्षण होने पर नाज है। यह परमाणु परीक्षण स्थल खेतोलाई गांव से महज तीन किलोमीटर दूर उतर दिशा में है, जहां अभी तारबंदी कर आर्मी की टुकड़ी तैनात रहती है।
खेतोलाई वासियों को काफी कीमत चुकानी पड़ी...
खेतोलाई वासियों को इस परमाणु परीक्षण व पास में फिल्ड फायरिंग रेंज होने की काफी कीमत चुकानी पड़ी थी। 11 मई 1998 में हुए परमाणु परीक्षण के गवाह रहे पूर्व सरपंच नाथुराम बिश्नोई, शिक्षाविद् मांगीलाल बिश्नोई व शिक्षाविद् अशोक रतनू ने बताया कि 18 मई 1974 में पहले परमाणु परीक्षण के बाद पूरे क्षेत्र में रेडिशेयन फैलने से खुजली व नारूक रोगों ने ऐसा जाल फैलाया था कि कोई भी व्यक्ति इस बिमारियों से अछूता नही रहा था। उससे पहले इस क्षेत्र में कैंसर का एक भी मरीज नहीं था और अब लोगों व पशुओं में तरह-तरह की बीमारियां हैं। चर्मरोग व जोड़ों में दर्द आम बात हो गई है। पशुओं में अनेक प्रकार की बीमारियां होने लगी हैं, कई पशुओं की आचनक मौत भी हो जाती है। जबकि जिले में खेतोलाई गांव प्रथम गांव है जहां सबसे अधिक गायें दुधारू हैं और जिले का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन यहां होता है।
जब फौज ने खेतोलाई गांव को घेर लिया...
खेतोलाई गांव के चश्मदीद शिक्षाविद् मांगीलाल बिश्नोई ने बताया कि '11 मई 1998 को फौज ने खेतोलाई गांव को घेर लिया तो सबकी सांसें अटक गईं कि ऐसा क्या हो रहा है? लोगों को घरों से कीमती सामान व पानी साथ में बाहर निकालने व पेड़ों की छाया में खड़ा रहने का कह दिया। विद्यालय में चल रही वार्षिक परीक्षा विद्यार्थियों व अध्यापकों को कमरों से बाहर निकालकर खड़ा रहने का कह दिया गया और विद्यार्थियों को परीक्षा भी पेड़ों के नीचे देनी पड़ी। और कहा कि पीने का पानी साथ रख सकते हैं। ग्रामवासियों ने पूछा आखिर क्या बात है, फिर भी कोई फौजी कुछ नहीं बोला... संभवत उनको भी कुछ मालुम नहीं था। पूरे गांव के लोगों को घरों से बाहर निकाल दिया गया और सभी ग्रामवासी इस मई माह की भीषण गर्मी में करीब चार बजे तक खडे़ रहे। आखिर चार बजे के आसपास भूकम्प हुआ जिससे खडे़ बुजुर्ग महिला व पुरूष नीचे गिर गए तथा धमाके की तेज आवाज के साथ उतर-दिशा में धूल के गुब्बारे दिखे, जो बादलों की तरह गांव की ओर आ रहे थे। आर्मी के जवान तक ग्रामवासियों की निगरानी कर रहे थे, काफी देर बाद हमें टीवी व रेडियो से संदेश मिला कि खेतोलाई गांव के पास परमाणु परीक्षण हुआ है। यह परमाणु परीक्षण आपको सुरक्षित रखने के लिए किया गया था, तो हमने राहत की सांस ली।'
खेतोलाई गांव को विशेष गांव का दर्जा देने की मांग
खेतोलाई गांव के वासियों का कहना है कि परमाणु परीक्षण के तेज धमाके व थरथराहट से कई मकान व पानी की टंकी तक क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिसका नाम मात्र का मुआवजा दिया गया। आज भी वहां फायरिंग रेंज में आर्मी द्वारा किए जा रहे तोपों के गोलों आदि परीक्षणों में कई नए मकानों में दरारें पड़ रही हैं, जिसका कोई हालचाल लेने वाला नहीं है। खेतोलाई गांव वासियों को मलाल है कि हम इतना सब कुछ सहन करने के बाद भी अपने आपको गौरवमय महसूस करते हैं लेकिन केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय व राज्य सरकार हमारी किसी समस्या के समाधान के प्रति उतरदायी नहीं दिख रही है। यहां तक कि 18 मई 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वायपेयी, तत्कालीन राष्ट्रपति कलाम सहित कई हस्तियां यहां परीक्षण स्थल पर आए मगर पूर्व में उनका खेतोलाई वासियों से मिलना तय था लेकिन ग्रामवासियों का मनोबल बढ़ाने के लिए ग्रामवासियों से नहीं मिले और पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व मुख्यमंत्री भैरूसिंह शेखावत ने सभा पोखरण हाईस्कूल के मैदान में की, जिसको लेकर खेतोलाई के ग्रामीणो में आज भी भारी रोष व्याप्त है। खेतोलाई पूर्व सरपंच नाथूराम बिश्नोई ने बताया कि आज पूरे गांव में एक भी बिल्डिंग ऐसी नहीं बची है जिसमें दरारें नहीं है। पूर्व सरपंच ने कहा कि उस समय केंद्र में भाजपा की सरकार थी, ऐसे में उन्हें बड़े मामले को ध्यान में रखते हुए देश के लिए इतना सहन करने वाले बलिदानी लोगों के गांव खेतोलाई को विशेष गांव का दर्जा प्रदानकर सभी तरह की राहते दिलाने की मांग की है।