नई दिल्ली: ताइवान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा समर्थन देने के बाद चीन ने भारत से अपने 'आंतरिक' मामलों में दखल से बचने को कहा है लेकिन चीन यहां भूल जाता है कि वो खुद भारत के ऐतराज के बावजूद पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में आर्थिक गलियारा बना रहा है। भारत के आंतरिक मामलों में दखल की कोशिश करने वाला चीन उल्टे नई दिल्ली को उंगली दिखा रहा है।
पाकिस्तान की मदद से चीन पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान में अपना दबदबा बढ़ाने में लगा है। गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान चीनी मदद से दिआमेर-ब्हाशा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है जिसका भारत ने विरोध जताते हुए इसे संप्रभुता का उल्लंघन बताया। भारत ने कहा कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में ऐसी परियोजनाएं शुरू किया जाना ठीक नहीं है।
इसके अलावा पाक-चीन मिलकर 60 अरब डॉलर के आर्थिक गलियारे का भी निर्माण कर रहे हैं। पीओके से होकर जाने वाले इस रास्ते को लेकर भी भारत कड़ी आपत्ति जता चुका है।
चीन पीओके में भारी निवेश कर वहां खुद को जमाने की कोशिश कर रहा है। उसे भारत को घेरने के लिए पीओके सबसे उपयुक्त स्थान लग रहा है। पाकिस्तान के हालात का पूरा फायदा उठाते हुए चीन यहां बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है जिससे वह कश्मीर के दोनों तरफ से भारत पर दबाव बढा सके।
वहीं इन दिनों पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे इलाके पैगोंग शो और गालवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई। दरअसल, चीन उत्तरी लद्दाख इलाके पर कब्जा करना चाहता है इसलिए उसकी तरफ से भारत द्वारा हो रहे निर्माण कार्य को लेकर विरोध जताया जाता रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के सैन्य दबाव बनाने के बावजूद भारत निर्माण कार्य नहीं छोड़ेगा।
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