श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे पर किसी भी तरह के हमले को स्वीकार नहीं करेगी और ‘सदर-ए-रियासत’ (मुख्यमंत्री) और ‘वजीर-ए-आजम’ (प्रधानमंत्री) समेत राज्य के विलय की शर्तों की पुनर्बहाली की कोशिश करेगी। उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कुछ शर्तों के साथ हुआ था और अगर उनसे छेड़छाड़ हुई तो विलय की पूरी योजना ही सवालों के दायरे में आ जाएगी।
उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर बाकि राज्यों की तरह नहीं है। बाकी राज्य हिंदुस्तान में मिल गए। हम भारत के दूसरे राज्यों से इतर कुछ शर्तों के साथ उनसे मिले थे। क्या भारत में किसी और राज्य का अपना झंडा और संविधान है? हमारा विलय भारत में कुछ शर्तों के साथ हुआ था।” उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 70 साल बाद, राज्य के विशेष दर्जे का विरोध करने वाली शक्तियां शर्तों से पीछे हटने की कोशिश कर रही हैं।
उन्होंने कहा, “लेकिन हम अपने राज्य के दर्जे से छेड़छाड़ करने वाले किसी भी प्रयास का मुकाबला करेंगे। हम अपने विशेष दर्जे पर किसी और हमले की इजाजत नहीं देंगे। इसके विपरीत हम उसे फिर हासिल करने की कोशिश करेंगे जिसका उल्लंघन किया गया। हम अपने राज्य के लिये ‘सदर-ए-रियासत’ (मुख्यमंत्री) और प्रधानमंत्री पद फिर से हासिल करने के लिए प्रयास करेंगे।”
पीएम नरेंद्र मोदी ने उमर अब्दुल्ला के जम्मू-कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री बनाने के बयान को लेकर हैदराबाद में रैली के दौरान कांग्रेस और महागठबंधन में शामिल दलों को आड़े हाथों लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और महागठबंधन की पार्टियों से जानना चाहा कि क्या वे नेशनल कान्फेंस के नेता उमर अब्दुल्ला द्वारा जम्मू कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री की कथित रूप से वकालत करने का समर्थन करती हैं?
मोदी ने मांग की कि महागठबंधन के नेता इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दें कि क्या वे अब्दुल्ला की टिप्पणी का समर्थन करते हैं? भाजपा नेताओं के अनुच्छेद 370 खत्म करने का पक्ष लेने की पृष्ठभूमि में अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर का वर्षों पहले एक अलग प्रधानमंत्री होने और राज्य की पहचान के संरक्षण के लिए उसे बहाल करने का उल्लेख किया था।
(इनपुट-भाषा)
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