नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब दे रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है, ज्यादा से ज्यादा समय जो बातें बताई गईं वो आंदोलन के संबंध में बताईं गईं, किस बात को लेकर आंदोलन है इसपर सब मौन रहे, आंदोलन कैसा है, आंदोलन के साथ क्या हो रहा है ये सारी बातें बहुत बताई गई, उसका भी महत्व है, लेकिन जो मूलभूत मांग है, अच्छा होता कि उसकी विस्तार से चर्चा होती।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "वैसे हमारे माननीय कृषि मंत्री ने बहुत अच्छे ढंग से सवाल पूछे हैं उन सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे मुझे पता है। मैं आदरणीय देवेगौड़ा जी का आभारी हूं, उन्होंने इस पूरी चर्चा को एक गंभीरता दी और सरकार के जो अच्छे प्रयास हैं उसकी सराहना की, वो किसानों के लिए जीवन भर समर्पित रहे हैं उन्होंने अच्छे सुझाव भी दिए। मैं इसके लिए उनका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।"
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उन्होंने कहा, "खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ें कहां हैं, मैं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने जो बताया था उसका जिक्र करता हूं, जो लोग चौधरी साहब की विरासत संभालने का दावा करते हैं, उम्मीद है वो समझेंगे। वो अक्सर 1971 में जो कृषि सेंसेस हुआ था उसका जिक्र उनके भाषण में आता था और वो उल्लेख करते थे, उनका कोट है, किसानों का संसेस लिया गया तो 33 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन 2 बीघे से कम है, 2 बीघे नहीं है, 2 बीघे तक है, 2 बीघे से कम, 18 प्रतिशत जो किसान कहलाते हैं उनके पास 2-4 बीघे जमीन है, यानि आधा हेक्येयर से एक हेक्टेयर ये 51 प्रतिशत किसान हैं, ये चाहे कितनी मेहनत करे अपनी थोड़ी सी जमीन पर इनकी गुजर इमानदारी से इसमें हो नहीं सकती, ये जौधरी चरण सिंह का कोट है, छोटे किसानों की दयनीय स्थिति चौधरी चरण सिंह हमेशा चिंता करते थे, ऐसे किसान जिनके पास 1 हेक्टेयर से भी कम जमीन थी 1971 में 51 प्रतिशत थे आज वे 61 प्रतिशत हो गए हैं।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में ऐसे किसानों की संख्या बढ़ रही है जिनके पास पहुत थोड़ी जमीन है। आज लघू और सीमांत किसानों को मिलाएं तो 86 प्रतिशत ज्यादा किसान के पास 2 हेक्येयर से भी कम जमीन है, ऐसे किसानों की संख्या 12 करोड़ है, क्या इन 12 करोड़ किसानों के प्रति इस देश की कोई जिम्मेदारी नहीं है। इस सवाल को चौधरी चरण सिंह हमारे लिए छोड़कर गए हैं।
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