Modi 2.0 का एक साल: पीएम का देश के नाम खुला खत, जताया जनता का आभार, कहा-जीतेंगे कोरोना की जंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम खुला खत लिखा जिसमें उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में साथ देने के लिए जनता को शुक्रिया कहा है।
नई दिल्ली: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल आज पूरा हो रहा है। ऐसे में बीजेपी ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को घर घर तक पहुंचाने के लिए मेगा कार्यक्रम बनाया है। डिजिटल माध्यम के जरिए संपर्क किया जाएगा लेकिन उससे पहले कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम खुला खत लिखा जिसमें उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में साथ देने के लिए जनता को शुक्रिया कहा है।
पीएम मोदी ने लिखा, "पिछले साल इस दिन, कई दशकों के बाद, देश के लोगों ने पूर्ण बहुमत के साथ पूर्ण सरकार का समर्थन किया। एक बार फिर, मैं भारत के 130 करोड़ लोगों और हमारे राष्ट्र के लोकतांत्रिक व्यवस्था को नमन करता हूं। आपके स्नेह, सद्भावना और सक्रिय सहयोग ने नई ऊर्जा और प्रेरणा दी है। सामान्य समय के दौरान, मैं आपके बीच में होता, हालांकि, वर्तमान परिस्थितियां इसकी इजाजत नहीं देती हैं। इसीलिए, मैं इस पत्र के माध्यम से आपका आशीर्वाद चाहता हूं।"
2014 से 2019 तक, भारत का कद काफी बढ़ा। गरीबों की गरिमा को बढ़ाया गया। देश ने मुफ्त गैस, बिजली कनेक्शन और स्वच्छता के लक्ष्य को हासिल किया और 'सभी के लिए आवास' सुनिश्चित करने की दिशा में प्रगति की। भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के माध्यम से अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। वहीं, वन रैंक वन पेंशन, वन नेशन वन टैक्स- जीएसटी, किसानों के लिए बेहतर एमएसपी जैसी दशकों पुरानी मांगें पूरी हुईं।
पीएम ने अपनी चिट्ठी में जीत का भी जिक्र किया है और जीत के बाद हर उस फैसले का भी जो 2014 से 2019 तक देश की सियासत और सरोकार से जुड़े रहे। आर्टिकल 370 पर फैसला हो, ट्रिपल तालाक या फिर राम मंदिर ऐसे कई फैसले हैं जिसके बाद देश में विकास की दिशा और समाज का स्वरूप बदलता चला गया।
पीएम मोदी ने कहा, "पिछले एक साल में, कुछ फैसलों पर व्यापक रूप से चर्चा हुई और सार्वजनिक चर्चा में बने रहे। आर्टिकल 370 ने राष्ट्रीय एकता और एकीकरण की भावना को आगे बढ़ाया। भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सर्वसम्मति से दिया गया राम मंदिर का फैसला, सदियों से चली आ रही बहस का एक सौहार्द्रपूर्ण अंत लेकर आया। ट्रिपल तलाक की बर्बर प्रथा को इतिहास के कूड़ेदान तक सीमित कर दिया गया है। नागरिकता अधिनियम में संशोधन भारत की करुणा और समावेश की भावना की अभिव्यक्ति थी।"
जीत बड़ी हो तो वो ज़िम्मेदारी भी बड़ी लेकर आती है। इसी एहसास के साथ नरे्द्र मोदी की टीम ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की। जनवरी में जब कोरोना का प्रभाव फैलता जा रहा था तो दुनिया भारत की ओर देख रही थी। पूरी दुनिया को एक डर था कि भारत में क्या स्थिति होगी, कोरोना संकट को भारत संभाल पाएगा लेकिन कोरोना की इस जंग में पीए मोदी की अगुवाई में सरकार ने जो लकीर खींची है उसे अब पूरी दुनिया लंबा करना चाहती है।
उन्होंने कहा, "बहुतों को डर था कि जब कोरोना भारत आएगा तो भारत दुनिया के लिए एक समस्या बन जाएगा, लेकिन आज, पूरे विश्वास ने हमारी ओर देखने के तरीके को बदल दिया है। हमने साबित कर दिया है कि दुनिया के शक्तिशाली और समृद्ध देशों की तुलना में भारतीयों की सामूहिक ताकत और क्षमता अद्वितीय है।"
कोरोना की इस लड़ाई में नरेंद्र मोदी की बातों पर भारत ही नहीं दुनिया के सैकड़ों देश भारत की ओर उम्मीद से देख रहे हैं। इस मुश्किल परिस्थिति को भी पीएम मोदी एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं और जब भी वो जनता के सामने आते हैं, वो बताते हैं हमें कैसे तरक्की के आसमान तक पहुंचना है।
ऐसे समय में, भारत सहित विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं कैसे ठीक होंगी, इस पर व्यापक बहस चल रही है। हालांकि, भारत ने जिस तरह से दुनिया को अपनी ताकत के साथ आश्चर्यचकित किया है और कोरोनो वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, उसे लेकर दृढ़ विश्वास है कि हम आर्थिक पुनरुत्थान में भी एक उदाहरण स्थापित करेंगे। आर्थिक क्षेत्र में, अपनी ताकत के माध्यम से, 130 करोड़ भारतीय न केवल दुनिया को आश्चर्यचकित कर सकते हैं, बल्कि इसे प्रेरित भी कर सकते हैं। यह समय की जरूरत है कि हम आत्मनिर्भर बनें। हमें अपनी क्षमताओं के आधार पर, अपने तरीके से आगे बढ़ना होगा, और इसे करने का एक ही तरीका है - आत्मनिर्भर भारत।"
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस खत के जरिए 130 करोड़ लोगों को शुक्रिया भी कर रहे हैं और मुश्किल हालात में साथ देने के लिए भरोसा भी चाह रहे हैं। मोदी 2.0 का ये पहला साल कैसा रहा, भारत ने क्या हासिल किया, पार्टी और सरकार की ओर से बताने और समझाने की पूरी कोशिश होगी। बीजेपी जीत के एक साल बाद आज भी उत्सव की तैयारी में है लेकिन इस बार सारा उत्सव वर्चुअल होगा। वर्चुअल रैली, वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस। गाजे-बाजे और फूल मालाओं की जगह सोशल मीडिया का सहारा होगा।