नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिये 17 नवंबर को देश की राजधानी माले की यात्रा करेंगे। बतौर प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली मालदीव यात्रा होगी। यह यात्रा दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का एक संकेत है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन की सरकार के दौरान गिरावट आ गयी थी। मोदी की दिनभर की यात्रा की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिये नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलिह का आमंत्रण ‘‘सहर्ष’’ स्वीकार लिया है। बहरहाल, उन्होंने साफ किया कि यह ‘‘द्विपक्षीय यात्रा’’ नहीं है।
रवीश कुमार ने कहा कि पड़ोस प्रथम’ की अपनी नीति को ध्यान में रखते हुए भारत आपसी सहभागिता में और प्रगाढ़ता लाने के इरादे से मालदीव के साथ करीब से काम करने के लिये आशान्वित है। भारत-मालदीव संबंध में यामीन के शासन काल में तनाव आ गया था। यामीन को चीन के करीब माना जाता है। भारतीयों के लिये कार्य वीजा पर प्रतिबंध लगाने और चीन के साथ नये मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने समेत यामीन के कुछ फैसलों से भी भारत के साथ रिश्ते में खटास आयी थी।
इसके बाद इस साल पांच फरवरी को देश में आपातकाल लगाने के यामीन के कदम के बाद दोनों देशों के बीच के संबंधों में और गिरावट आयी। भारत ने उनके फैसले की आलोचना की और उनकी सरकार से चुनावी विश्वसनीयता बहाल करने तथा राजनीतिक बंदियों को रिहा करने की राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया। आपातकाल 45 दिनों तक चला। मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव 23 सितंबर को हुए जिसमें संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार नेता सोलिह ने यमीन को शिकस्त दी। मालदीव भारत की समुद्री सुरक्षा की दृष्टि से एक अहम देश है और पिछले कुछ वर्ष में देश में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत में चिंताएं बढ़ गयी हैं।
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