राष्ट्रपति कोविंद के अभिभाषण पर पीएम मोदी का जवाब, कहा- देश की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हैं प्रतिबद्ध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि "राष्ट्रपति जी का अभिभाषण, देश के नागरिकों ने जिस आशा-आकांक्षाओं के साथ हमें इस सदन में भेजा है, उसकी एक तरह से प्रतिध्वनि है।"
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि "राष्ट्रपति जी का अभिभाषण, देश के नागरिकों ने जिस आशा-आकांक्षाओं के साथ हमें इस सदन में भेजा है, उसकी एक तरह से प्रतिध्वनि है।" इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि "मैं इस चर्चा को सार्थक बनाने के लिए इसमें भाग लेने वाले सभी सांसदों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।"
पीएम मोदी ने कहा कि "कई दशकों के बाद देश ने एक मजबूत जनादेश दिया है। एक सरकार को फिर से लाए हैं और पहले से ज्यादा शक्ति देकर लाए हैं।" उन्होंने कहा कि "आज के सामान्य वातावरण में, भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में सबके लिए गौरव करने की बात है कि हमारा मतदाता कितना जागरूक है। अपने से ज्यादा वो अपने देश से कैसे प्यार करता है, ये इस चुनाव में देखने को मिला है। इस बात के लिए देश का मतदाता अभिनंदन का पात्र है"।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि "2019 का जनादेश पूरी तरह कसौटी पर कसने के बाद, हर तराजू पर तौलने के बाद, पल-पल को जनता ने जांचा और परखा है और उसके आधार पर समझा है और तब जाकर फिर से हमें चुना है।" उन्होंने कहा कि "ये कोई जीत या हार का प्रश्न नहीं है। ये जीवन की उस आस्था का विषय है, जहां कमिटमेंट क्या होता, डेडिकेशन क्या है, जनता के लिए जीना-जूझना-खपना क्या होता है। और, जब पांच साल की अविरत तपस्या का संतोष मिलता है तो वो एक अध्यात्म की अनुभूति करता है।"
पीएम ने कहा कि "मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि 70 साल से चली आ रही बीमारियों को दूर करने के लिए हमने सही दिशा पकड़ी और काफी कठिनाइयों के बाद भी उसी दिशा में चलते रहे। हम उस मकसद पर चलते रहे और ये देश दूध का दूध पानी का पानी कर सकता है ये सबने देखा।" उन्होंने कहा कि "हमने देश आजाद होने के बाद जाने-अनजाने में एक ऐसा कल्चर स्वीकार कर लिया था, जिसमें देश के सामान्य मानवी को हक के लिए जूझना पड़ता है। क्या सामान्य मानवी के हक की चीजें सहज रूप से उसे मिलनी चाहिए या नहीं। हमने मान लिया था कि ये तो ऐसे ही चलता है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि "आज मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि कठिनाईयों के बावजूद हमने सही दिशा को छोड़ा नहीं।" उन्होंने कहा कि "यहां कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता, ऐसी गलती हम नहीं करते। हम दूसरे की लकीर छोटी करने में विश्वास नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं।" पीएम ने कहा कि "आपकी ऊंचाई आपको मुबारक हो। आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि जमीन दिखना बंद हो गया है। आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि आप जड़ों से उखड़ गए हैं। आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि आपको जमीन के लोग तुच्छ लगने लगे हैं। आपका और भी ऊंचा होना मेरे लिए संतोष और आनंद की बात है।"
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि "मैं चुनौती देता हूं कि 2004 से 2014 तक शासन में बैठे हुए लोगों ने कभी अटल जी की सरकार की तारीफ की हो। उनकी छोड़ों नरसिम्हा राव जी की सरकार की तारीफ की हो। इस सदन में बैठे हुए इन लोगों ने तो एक बार भी मनमोहन सिंह जी की सरकार का जिक्र तक नहीं किया, अगर किया हो तो बताएं।"
पीएम मोदी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए उसकी निंदा की और कांग्रेस पर निसाना भी साधा। उन्होंने कहा कि "आज 25 जून है, 25 जून की वो रात जब देश की आत्मा को कुचल दिया गया था। भारत में लोकतंत्र संविधान के पन्नों से पैदा नहीं हुआ है, भारत में लोकतंत्र सदियों से हमारी आत्मा है। किसी की सत्ता चली न जाए सिर्फ इसके लिए, उस आत्मा को कुचल दिया था।" पीएम ने कहा कि "आज 25 जून को हमे लोकतंत्र के प्रति हमारे समर्पण, संकल्प को और ताकत के साथ समर्पित करना होगा। जो-जो भी इस पाप के भागीदार थे, ये दाग कभी मिटने वाला नहीं है। इस दाग को बार-बार इसलिए स्मरण करने की जरूरत है ताकि फिर कोई ऐसा पाप न कर सके।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि "मुझे कभी लगता है कि अगर 125 करोड़ देशवासियों के सपनों को अगर मुझे जीना है, तो मुझे छोटा सोचने का हक़ भी नहीं है, और इसलिए- जब हौंसला बना लिया ऊंची उड़ान का, तो देखना फिजूल है कद आसमान का।"
इसके अलाव पीएम मोदी ने पानी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि "हिंदुस्तान में पानी के संबंध में जितने भी इनिशिएटिव लिए गए थे, वो सारे काम बाबा साहब अंबेडकर ने किए थे। लेकिन, जैसा मैंने पहले कहा शायद एक ऊंचाई पर जाने के बाद लोगों को दिखता नहीं है।" पीएम ने कहा कि "सरदार सरोवर बांध सरदार पटेल का सपना था। लेकिन इस डैम पर काम में देरी होती रही। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मुझे इस परियोजना के लिए उपवास तक करना पड़ा था। NDA के सत्ता में आने के बाद इसके काम की गति में वृद्धि हुई और आज इससे लोगों को लाभ हो रहा है।"
पीएम ने कहा कि "पानी की तकलीफ राजस्थान और गुजरात के लोग ज्यादा जानते हैं और इसी वजह से हमने जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। जल संचय पर हमें बल देना पड़ेगा न हीं तो जल संकट बढ़ता चला जाएगा।" उन्होंने कहा कि "हमने इस बार जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। जल संकट को हमने गंभीरता से लेना होगा। जल संचय पर हमने पूरा ध्यान देना होगा। पानी बचाना है, ये काम करके हम सामान्य मानवी की जिंदगी को बचा सकते हैं। पानी का संकट दूर करके हम गरीबों और माताओं को बड़ी सहुलियत दे सकते हैं।"
पीएम मोदी ने कहा कि "मेक इन इंडिया का मजाक उड़कार कुछ लोगों को भले ही रात को अच्छी नींद आ जाए लेकिन इससे देश का भला तो नहीं हो पाएगा। मेक इन इंडिया का आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। हमारा सपना नया भारत बनाना है जिसके लिए मेक इन इंडिया जरूरी है।" उन्होंने कहा कि "ईज ऑफ लिविंग यानि सामान्य मानवी की जिंदगी में सुगमता, हरेक के लिए समान अवसर को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि "हमारे देश में पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं। लेकिन हमने ही अपने देश के विषय में एक हीन भाव पैदा कर दी थी और उसी कारण विश्व के लोगों को हिंदुस्तान की तरफ आकर्षित करने में हम कम पड़ गए। स्वच्छता अभियान ने अब पर्यटन को बल दिया है, जिससे भारत में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी।" इसके अलावा पीएम मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी के उस बयान पर तंज कसा जिसमें उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी और सानिया गांधी दोषी हैं तो उन्हें जेल में क्यों नहीं डाला।
पीएम ने कहा कि "हमें इसलिए कोसा जा रहा है कि हमने फलाने को जेल में क्यों नहीं डाला। ये इमरजेंसी नहीं है कि किसी को भी जेल में डाल दिया जाए, ये लोकतंत्र है। ये काम न्यायपालिका है। हम कानून से चलने वाले लोग हैं और किसी को जमानत मिलती है तो वो इंजॉय करे। हम बदले की भावना से काम नहीं करेंगे।"