'कृषि सुधारों पर अचानक कांग्रेस ने यू टर्न ले लिया', राज्यसभा में किसान आंदोलन पर बोले PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। इस दौरान विपक्षी सदस्यों की ओर से कृषि कानूनों पर उठाए गए सभी सवालों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में जवाब दिया।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन पर सभी की निगाहें थी। उनसे पहले किसी प्रधानमंत्री ने केवल राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब नहीं दिया है। विपक्षी सदस्यों की ओर से कृषि कानूनों पर उठाए गए सभी सवालों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में जवाब दिया। बता दें कि तीनों कृषि कानूनों के औचित्य पर सदन में उनके बोलने के काफी मायने हैं।
राज्यसभा में पीएम मोदी का संबोधन-
- आंदोलनवीजी परजीवी होते हैं। इन आंदोलनजीवी लोगों की पहचान होनी चाहिए, देश ऐसे आंदोलनजीवी से बचकर रहे।
- 'किसान उड़ान' के द्वारा हवाई जहाज से जैसे हमारे नार्थ ईस्ट की कितनी बढ़िया-बढ़िया चीजें जो ट्रांसपोर्ट सिस्टम के अभाव में वहां का किसान लाभ नहीं उठा पाता था, आज उसे किसान उड़ान योजना का लाभ मिल रहा है।
- पहली बार हमने किसान रेल की कल्पना की। छोटा किसान जिसका सामान बिकता नहीं था, आज गांव का छोटा किसान किसान रेल के माध्यम से मुंबई के बाजार में अपना सामान बेचने लगा, इससे छोटे किसान को फायदा हो रहा है।
- 2014 के बाद हमने कुछ परिवर्तन किया, हमने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया ताकि किसान, छोटा किसान भी उसका फायदा ले सके। पिछले 4-5 साल में फसल बीमा योजना के तहत 90 हजार करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को दिए गए है।
- जब कर्जमाफी करते हैं तो छोटा किसान उससे वंचित रहता है, उसके नसीब में कुछ नहीं आता है। पहले की फसल बीमा योजना भी छोटे किसानों को नसीब ही नहीं होती थी। यूरिया के लिए भी छोटे किसानों को रात-रात भर लाइन में खड़े रहना पड़ता था, उस पर डंडे चलते थे।
- पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है। 10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया। अब तक 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये उनके खाते में भेजे गये हैं। इसमें अधिकतर छोटे किसान हैं। अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता।
- किसान भाई समझें रूकावटों से विकास नहीं होता है, रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं।
- मनमोहन सिंह ने किसानों को कहीं भी फसल बेचने की आजादी देने की बात कही थी। जो मनमोहन सिंह चाहते थे वो मैंने कर दिया। सियासत हावी हो तो अपने विचार छूट जाते हैं। जो विरोध कर रहे हैं उन्होंने भी अपने राज्यों में आधे अधूरे सुधार किए।
- कृषि सुधारों पर अचानक कांग्रेस ने यू टर्न ले लिया, आंदोलन के जरिए सरकार को घेरिए लेकिन बदलाव जरूरी है। कांग्रेस वाले मेरी बात माने ना माने लेकिन मनमोहन सिंह की तो माने।
- छोटे किसान के पास बैंक खाता नहीं तो कर्ज कहां से लेगा। छोटे किसानों को कर्जमाफी का फायदा नहीं मिलता। छोटे किसान के पास सिंचाई की भी समस्या थी।
- देवगौड़ा जी ने कृषि कानून की तारीफ की। उन्होंने सरकार के अच्छे काम के बारे में बताया।
- खेती की मूलभूत समस्या क्या है, उसकी जड़ कहां है। मैं आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण जी की बात बताना चाहता हूं। वो छोटे किसानों की दयनीय स्थिति पर हमेशा चिंता करते थे।
- सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई है। ज्यादा से ज्यादा समय जो बात बताई गईं वो आंदोलन के संबंध में बताई गई। किस बात को लेकर आंदोलन है उस पर सब मौन रहे। जो मूलभूत बात है, अच्छा होता कि उस पर भी चर्चा होती।
- जल, थज, नभ, अंतरिक्ष भारत हर क्षेत्र में अपनी रक्षा के लिए अपने सामर्थ्य के साथ खड़ा है। सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक भारत की कैपेबिलिटी को दुनिया ने देखा है।
- इस कोरोना काल में भारत ने वैश्विक संबंधों में एक विशिष्ट स्थान बनाया है, वैसे ही भारत ने हमारे फेडरल स्ट्रक्चर को इस कोरोना काल में, हमारी अंतर्भूत ताकत क्या है, संकट के समय हम कैसे मिलकर काम कर सकते हैं, ये केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर कर दिखाया है।
- लोकतंत्र को लेकर यहां काफी उपदेश दिए गए हैं। लेकिन मैं नहीं मानता हूं कि जो बातें यहां बताई गईं हैं, उसमें देश का कोई भी नागरिक भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है कि जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं।
- भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जतायी थीं। विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में अगर भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताई।
- कोरोना की लड़ाई जीतने का यश किसी सरकार को नहीं जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं जाता है। लेकिन हिंदुस्तान को तो जाता है। गर्व करने में क्या जाता है? विश्व के सामने आत्मविश्वास से बोलने में क्या जाता है?
- हम सभी के लिए ये भी एक अवसर है कि हम आजादी के 75 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये अपने आप में एक प्रेरक अवसर है। हम जहां भी, जिस रूप में हों मां भारती की संतान के रूप में इस आजादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए।
- जो देश युवा हो। जो देश उत्साह से भरा हुआ हो। जो देश अनेक सपनों को लेकर संकल्प के साथ सिद्धि को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हो। वो देश इन अवसरों को कभी जाने नहीं दे सकता।
- अनेक चुनौतियों के बीच राष्ट्रपति जी का इस दशका का प्रथम भाषण हुआ। लेकिन ये भी सही है जब पूरे विश्व पटल की तरफ देखते हैं, भारत के युवा मन को देखते हैं तो ऐसा लगता है कि आज भारत सच्चे में एक अवसरों की भूमि है। अनेक अवसर हमारा इंतजार कर रहे हैं।
- राज्य सभा में करीब 13-14 घंटे तक 50 से अधिक माननीय सदस्यों ने अपने बहुमूल्य विचार रखे। इसलिए मैं सभी आदरणीय सदस्यों का हृदय पूर्वक आभार व्यक्त करता हूं।
- पूरा विश्व अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच: पीएम मोदी
कांग्रेस पार्टी ने अपने सांसदों को सोमवार (8 फरवरी) को राज्यसभा की कार्यवाही में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था। खास बात यह है कि कांग्रेस ने अपने सांसदों को कार्यवाही स्थगित किए जाने तक सदन में मौजूद रहने के लिए कहा है। बता दें कि विवादों में घिरे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। इस वक्त संसद के बजट सत्र में विपक्ष के भारी हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार स्थगित हो रही है। नए कृषि कानूनों को लेकर लोकसभा में हर दिन हंगामा हो रहा है, जिससे कई बार सदन स्थगित करनी पड़ी है।
वहीं, इससे पहले भाजपा ने भी अपने राज्यसभा सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया था। व्हिप में 8 फरवरी से 12 फरवरी तक सदन में मौजूद रहने के लिए कहा गया है। बीजेपी ने अपने सांसदों से कहा है कि वह सदन में मौजूद रहें और सरकार के कदम का समर्थन करें।