नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित होने वालों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े ये असाधारण लोग दूसरों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाए हैं। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे और दिवंगत गायक एस पी बालासुब्रमण्यम को सोमवार को इस साल के पद्म विभूषण पुरस्कार जबकि असम के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत तरुण गोगोई, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिवंगत राम विलास पासवान और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पद्म भूषण पुरस्कार के लिये नामित किया गया।
मोदी ने ट्वीट किया, ''हम सभी को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित लोगों पर गर्व है। राष्ट्र और मानवता संबंधी उनके बड़े योगदान के लिये भारत उनका आभारी है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े ये असाधारण लोग दूसरों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन लाए हैं।'' केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रपति ने 119 पद्म पुरस्कार दिए जाने को मंजूरी दी है जिनमें सात पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्मश्री हैं। पद्म पुरस्कार विजेताओं में 29 महिलाएं हैं। इनमें 10 लोग विदेशी, प्रवासी भारतीय, पीआईओ और ओसीआई तथा एक व्यक्ति ट्रांसजेंडर श्रेणी से हैं। इनमें 16 लोगों को पद्म पुरस्कार मरणोपरांत दिए गए हैं।
गलवान के नायक कर्नल संतोष बाबू को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया
पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना के हमले के खिलाफ अपने सैनिकों का नेतृत्व करने वाले कर्नल बी.संतोष बाबू को मरणोपरांत दूसरे सबसे बड़े सैन्य सम्मान महावीर चक्र से नवाजा गया है। सोमवार को की गई एक आधिकारिक घोषणा के अनुसार उन्हें यह पदक शत्रु की उपस्थिति में अदम्य साहस का परिचय देने के लिए प्रदान किया गया है।
गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद हुए चार अन्य सैनिकों- नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन, हवलदार (गनर) के.पलानी, नायक दीपक सिंह और सिपाही गुरतेज सिंह को वीर चक्र से सम्मानित किया गया है। भारतीय सेना की तीन मीडियम रेजिमेंट के हवलदार तेजिंदर सिंह को भी वीर चक्र से नवाजा गया है। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार 16 बिहार रेजिमेंट के कर्नल बाबू ने गंभीर रूप से घायल होने और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आगे बढ़कर नेतृत्व किया और शत्रु का सामना किया। लद्दाख में भारतीय सेना ने ‘गलवान के वीरों’ के लिए पहले ही एक स्मारक बनाया है। स्मारक पर ऑपरेशन ‘स्नो लेपर्ड’ के उन पराक्रमी योद्धाओं का उल्लेख है जिन्होंने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर किया।
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