नई दिल्ली. कोझिकोड हवाईअड्डे पर शुक्रवार की शाम एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान रनवे पर फिसलने की वजह से दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें कई लोगों की जिंदगी चली गई और कई घायल हो गए। नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने 2011 में कोझिकोड हवाईअड्डे के रनवे से जुड़े खतरों के बारे में सतर्क कर दिया था।
नागरिक उड्डयन अधिकारियों को 17 अगस्त, 2011 के एक पत्र में ऑप्स-कैसैक (नागरिक उड्डयन सुरक्षा सलाहकार परिषद) के सदस्य कैप्टन रंगनाथन द्वारा कोझिकोड रनवे से जुड़े खतरों के बारे में सूचित किया गया था। यह सरकार द्वारा नियुक्त हवाई सुरक्षा पैनल है, जिसने संभावित खतरे के बारे में पहले ही अलर्ट कर दिया था।
पत्र को नागर विमानन सचिव और कैसैक अध्यक्ष नसीम जैदी और डीजीसीए के भारत भूषण को संयुक्त रूप से संबोधित किया गया था। रंगनाथन ने चेतावनी दी थी कि यह रनवे बारिश के मौसम में लैंडिंग के काबिल बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा था कि रनवे 10 को लैंडिंग के लिए सही नहीं माना जाना चाहिए। रंगनाथन ने लिखा था, "टेलविंड परिस्थितियों में रनवे 10 पर उतरने वाली सभी उड़ानें सभी के जीवन को खतरे में डाल रही हैं।"
उन्होंने पत्र में कहा था, "मैं समझता हूं कि रनवे 10 आईएलएस का उपयोग कालीकट में परीक्षण के आधार पर किया जा रहा है। कुछ चालक दल के सदस्य रनवे 10 पर वीओआर के ²ष्टिकोण को भी स्वीकार कर रहे हैं।"
पत्र में उन्होंने अरुण राव द्वारा एक निरीक्षण रिपोर्ट का उल्लेख किया, जो नागरिक उड्डयन अधिकारियों को प्रस्तुत किया गया था। पत्र में उन्होंने एएआई को दोषी ठहराया। रंगनाथन ने लिखा कि सुरक्षा के पहलुओं पर एएआई की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया है, जिनके बारे में अरुण राव ने 2010 में बताया था।
पत्र में कहा गया था कि कालीकट हवाईअड्डे के दोनों छोर पर न्यूनतम रनवे स्ट्रिप एंड रनवे एंड सेफ्टी एरिया (आरईएसए) नहीं है। उन्होंने यह भी सवाल किया था कि कैसे डीजीसीए ने अपने पत्र में इसकी अनदेखी की। रंगनाथन ने कोझिकोड के साथ ही मैंगलोर हवाईअड्डे को भी सुरक्षा के लिहाज से असुरक्षित बताया।
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