नयी दिल्ली। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार की कोशिश है कि रायबरेली कोच कारखाने की क्षमता प्रतिवर्ष 5,000 डिब्बे बनाने की हो जिससे लोगों को नौकरियां मिले, उद्योग को बल मिले और वहां से भारत के बने ट्रेन सेट और कोच पूरे विश्व में जायें । पिछले सप्ताह लोकसभा में संप्रग अध्यक्ष सोनियां गांधी ने सरकार पर रेलवे की ‘‘बहुमूल्य संपत्तियों को निजी क्षेत्र के चंद हाथों को कौड़ियों के दाम पर बेचने’’ का आरोप लगाया था। साथ ही इस बात पर अफसोस जताया था कि सरकार ने निगमीकरण के प्रयोग के लिए रायबरेली के मॉडर्न कोच कारखाने जैसी एक बेहद कामायाब परियोजना को चुना है। उन्होंने निगमीकरण को निजीकरण की शुरुआत करार दिया था।
लोकसभा में वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रायबरेली मॉर्डन कोच फैक्ट्री को 2007-08 को मंजूरी दी गई थी और 2014 में हमारी सरकार बनने तक वहां एक भी कोच नहीं बना। कपूरथला और चेन्नई से लाकर वहां पेंट किया जाता था और कहते थे कि प्रोडक्शन हो गया । पीयूष गोयल ने कहा कि मॉर्डन कोच फैक्ट्री में अगस्त 2014 में पहला कोच बनकर निकला था ।
उन्होंने जोर दिया कि मोदी सरकार आने से पहले वहां एक आदमी की नियुक्ति नहीं की गई थी केवल ‘तदर्थ’ आधार पर लोगों की भर्ती की गई थी। मोदी सरकार आने के बाद वहां नियुक्तियां हुई, कार्यों को आगे बढ़ाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं वहां गए और वहां निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। रेल मंत्री ने कहा कि इस कोच फैक्ट्री की क्षमता प्रति वर्ष 1000 कोच बनाने की थी और 2018..19 में 1425 कोच बने। गोयल ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि रायबरेली फैक्ट्री की क्षमता 5,000 कोच प्रति वर्ष बनाने की हो, इससे हमारे उद्योग को बल मिलेगा, वहां से भारत के बने ट्रेन सेट और कोच पूरे विश्व में जायें । ’’
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