नई दिल्ली. देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम में इजाफा हो रहा है। ईधन की बढ़ती कीमतों के विरोध में कांग्रेस पार्टी प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस पार्टी की तरफ से पेट्रोल-डीजल व एलपीजी की बढ़ती कीमतों के विरोध में 11 जून को पूरे देश में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। आपको बता दें कि देश के कई शहरों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर पहुंच गये हैं। वहीं दिल्ली में यह 100 रुपये के करीब पहुंच चुके हैं।
आपको बता दें कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में ताबड़तोड़ वृद्धि का सिलसिला थमा नहीं है। पिछले महीने की शुरुआत में खत्म हुए विधानसभा चुनावों के बाद से 22 बार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ चुके हैं। आज बुधवार को भी पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी हुई। राजधानी दिल्ली में दोनों ईंधनों के दाम में 25-25 पैसे की बढ़ोतरी हुई। इसी के साथ दिल्ली के बाजार में बुधवार को पेट्रोल 95.56 रुपये प्रति लीटर पर जबकि डीजल 86.47 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया।
विश्व बाजार में दाम बढ़ने के कारण बढ़ रहे पेट्रोल, डीजल के दाम- धर्मेन्द्र प्रधान
केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सोमवार को देश में पेट्रोल, डीजल के दाम में हो रही वृद्धि के लिये वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई तेजी को जिम्मेदार बताया। प्रधान ने माना कि हाल के दिनों में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि पेट्रोल, डीजल को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने के बारे में कोई भी निर्णय जीएसटी परिषद को लेना है।
माना जा रहा है कि पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इनके दाम में कमी आ सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ने के पीछे मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 70 डालर प्रति बैरल पर पहुंच जाना है। इससे घरेलू बाजार में भी दाम बढ़ गये जिसका उपभोक्ताओं पर नकारात्मक असर पड़ा है। भारत अपनी कुल जरूरत का 80 प्रतिशत तेल आयात करता है।’’
जनता को ईंधन के बढ़ते दाम से राहत देने के लिये पेट्रोल, डीजल को जीएसटी व्यवस्था के दायरे में लाये जाने को लेकर उनके रुख के बारे में पूछे जाने पर प्रधान ने कहा कि वह इस विचार से सहमत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पेट्रोल, डीजल के दाम वैश्विक बाजारों के अनुरूप चलते हैं। इस क्षेत्र प्रभारी होने के नाते मेरा यह मानना है कि ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिये लेकिन यह काम तभी हो पायेगा जब जीएसटी परिषद के सदस्यों के बीच इसको लेकर सहमति बनेगी। इस बारे में कोई भी निर्णय सामूहिक तौर पर जीएसटी परिषद ही ले सकती है।’’
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