उत्तराखंड के पवनदीप राजन ने जीता 'द वॉयस इंडिया' का खिताब
नई दिल्ली: आप में है दम तो आप कामयाबी के ऊँचे शिखर तक पहुंच सकते हो, ऐसा ही दम उत्तराखंड के पवनदीप राजन ने अपनी मधुर और सुरीली आवाज़ का दम दिखा कर एंड टी
नई दिल्ली: आप में है दम तो आप कामयाबी के ऊँचे शिखर तक पहुंच सकते हो, ऐसा ही दम उत्तराखंड के पवनदीप राजन ने अपनी मधुर और सुरीली आवाज़ का दम दिखा कर एंड टी वी के चर्चित शो ' द वॉइस इण्डिया ' का ग्रांड फिनाले जीत लिया। पवनदीप राजन ने परम्परा ठाकुर,ऋषभ चतुर्वेदी और दीपेश को पछाड़ कर वॉइस ऑफ़ इण्डिया बनने में कामयाबी हासिल की है। पवनदीप राजन को पचास लाख रुपये, एक अल्टो के -10 कार इनाम के रूप में मिली है। इसके अलावा एक एल्बम के गाने का करार भी हुआ है।
इतनी कामयाबी छोटी सी उम्र में कम नहीं होती।पवनदीप राजन ने उत्तराखंड के चम्पावत ज़िले के छोटे से गांव चैकी की पगडंडियों से निकल कर मुंबई तक का सफर तय किया है। वो इतनी छोटी सी उम्र में बड़ी कामयाबी हासिल करेगा किसी ने सोचा भी नहीं था।लेकिन उसकी आवाज़ आज देश की आवाज़ बन गई है। रविवार की रात मुंबई में एंड टीवी के 'द वायस इंडिया' के फायनल मुकाबला हुआ तो पवनदीप राजन विनर चुना गया। मशहूर गायक शान की टीम में पवनदीप राजन शामिल था।
पवनदीप की कामयाबी के लिए पूरे उत्तराखंड से उसके लिए दुआए और मन्नते मांगी गई थी। युवाओ ने तो उसके गृह जनपद चम्पावत एस एम एस की मुहीम ही चला रखी थी। स्क्रीन पर जब पवनदीप के विनर होने का एलान हुआ तो युवा देर रात तक उसकी सफलता पर जश्न मनाते रहे। चंपावत में तो प्रोजेक्टर के माध्यम से शो का लाइव प्रसारण दिखाया गया। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ा। जिसमें पवनदीप के परिजन भी शामिल थे।
एंड टीवी के शो द वायस इंडिया में पवनदीप राजन ने देश भर के 28 गायकों में शामिल होने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। पवनदीप की माँ सरोज राजन का कहना है कि अभावों के बीच में पल बढ कर पवन ने आज उत्तराखंउ का नाम रोशन कर दिया है। उनका कहना है कि अब पवन उनका नहीं पूरे देश की धरोहर बन गया है। बचपन से ही बर्तनों को बजा बजा कर संगीत और गायन के क्षेत्र के प्रति अपनी रूचि प्रदर्षित करने वाले पवनदीप ने आज अपनी प्रतिभा की आभा बिखेर ही दी है। उसकी कामयाबी से आज सब बहुत खुश है।
पवनदीप की बहन सपना राजन का कहना है कि उनका भाई बचपन से संगीत के प्रति बेहद जुनूनी था। संगीत के किसी भी कार्यक्रम में वह प्रथम स्थान प्राप्त करता था। पवन ने गायन के लिए किसी प्रकार की कोई शिक्षा नहीं ली है। पिता का मागदर्शन में ही उसने यह मुकाम हासिल किया है। वैसे पवनदीप राजन बचपन से ही प्रतिभा का धनी था,तीन साल की उम्र में तबला वादन शुरू कर दिया था।
जब कुछ बड़ा हुआ तो संगीत को अपनी साधना बना डाला। कई कार्यकर्मो में उसने अपनी सुरीली और मधुर आवाज़ का जादू बिखेरा। अब तो वो आवाज़ का विनर ही बन गया। चंपावत जिले के छोटे से गांव चैकी के इस होनहार ने अपनी मेहनत के बूते पूरे देश की आवाज बनकर यह साबित कर दिया है, कि प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है।