मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के दौरान अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी कथित रूप से नहीं देने के लिए मुंबई के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) से नोटिस मिला है। कारण बताओ नोटिस से नाराज नर्मदा बचाव आंदोलन की नेता ने इसे कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने की कोशिश बताया है। मेधा (64) ने बृहस्पतिवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ यह जानबूझकर कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने की कोशिश है।’’
एक अधिकारी ने बताया कि आरपीओ ने 10 अक्टूबर को पाटकर को नोटिस जारी करके पूछा था कि लंबित आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी छुपाने को लेकर उनका पासपोर्ट क्यों नहीं जब्त कर लिया जाए। उन्हें 30 मार्च 2017 को पासपोर्ट पुन: जारी किया गया था। उन्होंने बताया कि पाटकर से 10 दिन के भीतर जवाब मांगा गया था लेकिन उन्होंने उत्तर नहीं दिया। उनके खिलाफ नौ आपराधिक मामले दर्ज हैं। नोटिस के मुताबिक, पाटकर के खिलाफ मध्य प्रदेश के बडवानी में तीन, अलीराजपुर में एक और खंडवा जिले में पांच मामले दर्ज हैं।
नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए पाटकर ने कहा, ‘‘नोटिस में उल्लेखित मामलों से लगता है कि वे मामले हैं जो विकास परियोजनाओं (बांधों) से प्रभावित परिवारों के न्याय के लिए चलाए गए अहिंसक शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए न कि अन्य अपराध के लिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे और अन्य के खिलाफ सभी मामले सालों पहले दर्ज किए गए थे और बडवानी और अलीराजपुर की जिला अदालतों ने उनका निपटान कर दिया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमे मार्च 2017 में पासपोर्ट के लिए आवेदन करने से पहले आरोप मुक्ति के आदेश मिल गए थे।’’
पाटकर ने कहा कि बडवानी का सिर्फ एक मामला पासपोर्ट के लिए आवेदन करने से पहले दर्ज नहीं हुआ था। यह अगस्त 2017 में दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘ जहां तक खंडवा के मामलों का संबंध है, मुझे याद नहीं कि उनमें से किसी मामले में मुझे समन किया गया है या मुझे आरोपी बनाया गया है।’’
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