नई दिल्ली: परिवहन संबंधी संसद की स्थायी समिति ने विमान सेवा मुहैया करवाने वाली कंपनियों के लिए ऐसी व्यवस्था बहाल करने की सिफारिश की है जिससे हवाई अड्डों पर चेक-इन में दस मिनट से ज्यादा समय न लगे। समिति ने एक रिपोर्ट में विभिन्न एयरलाइन कंपनियों की ओर से चेक-इन काउंटरों पर पर्याप्त संख्या नहीं रखने व कन्फर्म्ड टिकट धारकों को यात्रा में व्यवधान का स्थिति पैदा करने के लिए उनकी तीखी आलोचना की है।
उपभोक्ताओं की संतुष्टि में सुधार से जुड़े मुद्दों को लेकर तैयार की गई यह रिपोर्ट चार जनवरी को परिवहन, पर्यटन व संस्कृति संबंधी समिति की ओर से संसद में पेश की गई, जिसमें समिति ने कहा कि चेक-इन की प्रक्रिया और लगेज जमा कराने में ज्यादा समय लगता है और यह पूरी प्रक्रिया पीड़ादायक है। यात्रियों की मांग है कि बिना लंबी कतारों के शीघ्रता से चेक-इन और सरलता से सुरक्षा जांच हो।
रिपोर्ट के मुताबिक, "चेक-इन की प्रक्रिया को लेकर एयरलाइन कंपनियों की ओर से भारी दावा करने के बावजूद समिति को यह देखने को बाध्य होना पड़ा कि चेक-इन काउंटरों पर अव्यवस्था है, खासतौर से इंडिगो जैसे कम लागत वाली एयरलाइन के मामले में यह अव्यवस्था देखी गई।"रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि समिति को कुछ प्राइवेट एयरलाइन के चेक-इन काउंटरों पर लंबी कतारों की वजह से यात्रियों की निर्धारित उड़ान छूट जाने की भी रिपोर्ट मिली। इससे उन्हें अगली उड़ान में यात्रा करने के लिए महंगे किराये का टिकट खरीदना पड़ा।
समिति ने कहा कि एयरलाइन कंपनियों द्वारा उड़ानों के लिए ज्यादा बुकिंग करवाई जाती है और बाद में ऐसी स्थितियां पैदा की जाती हैं जिनसे कन्फर्म्ड टिकट वाले यात्री निर्धारित विमान से यात्रा नहीं कर पाते हैं। कई बार यह देखने में आया कि चेक-इन काउंटरों पर पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं होते हैं। समिति ने कहा कि यात्रियों की भीड़ की स्थिति में चेक-इन काउंटरों पर अतिरिक्त स्टाफ को तैनात किया जाए। साथ ही एएआई व अन्य एयरपोर्ट ऑपरेटर हवाई अड्डों पर पर्याप्त चेक-इन काउंटर और सेल्फ चेकिंग कियोस्क लगाएं।
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