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Hindi News भारत राष्ट्रीय लोकसभा और राज्यसभा में टोक्यो ओलंपिक पदक विजेताओं को दी गई बधाई

लोकसभा और राज्यसभा में टोक्यो ओलंपिक पदक विजेताओं को दी गई बधाई

लोकसभा और राज्यसभा में आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही टोक्यो ओलंपिक में पदक विजेता खिलाड़ियों को बधाई दी गई

लोकसभा और राज्यसभा में ओलंपिक पदक विजेताओं को दी गई बधाई - India TV Hindi Image Source : FILE लोकसभा और राज्यसभा में ओलंपिक पदक विजेताओं को दी गई बधाई 

नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा में आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही टोक्यो ओलंपिक में पदक विजेता खिलाड़ियों को बधाई दी गई। हालांकि लोकसभा में ओलंपिक विजेताओं को बधाई देने के बाद हंगामा शुरू हो गया और सदन की कार्यवाही  स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में सभापति वेकैय्या नायडू ने पदक विजेताओं को बधाई दी। 

लोकसभा अध्यक्ष ने सदन में तोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक श्रेणी में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इससे देश में उमंग का वातावरण है। उन्होंने कुश्ती में बजरंग पूनिया द्वारा कांस्य पदक जीतने का भी उल्लेख किया। बिरला ने अपनी और सदन की ओर से खिलाड़ियों को बधाई दी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, वैसे ही कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने आसन के समीप आकर नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान सदन में एक प्रश्न लिया गया। लेकिन विपक्षी दलों का शोर-शराबा जारी रहा।

राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘तोक्यो ओलंपिक में हमारी 120 वर्ष पुरानी यात्रा में एक सर्वोत्तम क्षण साबित हुआ। ब्रिटिश शासन के एक उपनिवेश के रूप में भारत ने 1900 में पहली बार पेरिस ओलंपिक में भाग लिया था। प्रत्येक चार वर्ष बाद पदकों के मामले में खराब प्रदर्शन के साथ हताशा, निराशा, अविश्वास और बेचारगी की यादों को मिटाकर, ‘हम कुछ कर सकते हैं’ की गाथा लिखने में हमें इतना लंबा समय लग गया। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘1980 तक हमारी पुरुष हाकी के स्वर्णिम रिकार्ड और कुछ वैयक्तिक एथलीटों के दुर्लभ अच्छे प्रदर्शनों को छोड़कर वर्षों तक ओलंपिक में हमारे खराब प्रदर्शन के कारण हमारे देश ने खेल के क्षेत्र में आत्मविश्वास, भरोसा उत्साह एवं उम्मीद को खो दिया था।’’ सभापति ने कहा कि कोई भी देश विश्वास एवं आत्म सम्मान के अभाव में किसी भी क्षेत्र में अपना सिर उठा कर नहीं चल सकता। उन्होंने कहा कि यह बात युवा भारत पर और भी लागू होती है क्योंकि वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक क्षेत्रों में भारत की तेज प्रगति के कारण विश्व स्तर पर उसकी बात को ध्यान से सुना जा रहा है।

उन्होंने कहा कि निस्संदेश ओलंपिक की भावना पदक जीतने से अधिक भागीदारी की है, तथापि पदकों की संख्या का महत्व होता है क्योंकि यह किसी भी राष्ट्र की खेल शक्ति की निर्णायक गवाही देते हैं। उन्होंने कहा कि इससे भी महत्वपूर्ण बात है कि ओलंपिक पदक उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की वैश्विक धारणा को मजबूत करते हैं तथा खेलों का स्तर सांस्कृतिक ताकत का एक महत्वपूर्ण तत्व होता है। नायडू ने कहा कि ओलंपिक पदक जीतने के मामले में हमारे देश को लंबे समय तक निराशा का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा, ‘‘देश 2016 के रियो ओलंपिक तक छह ओलंपिक में एक भी पदक नहीं जीत पाया, 13 आयोजनों में केवल एक पदक जीत पाया, तीन ओलंपिक में दो पदक, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में तीन पदक तथा 2012 के लंदन ओलंपिक में छह पदक जीत पाया। हमारा देश व्यक्तिगत स्पर्धा में 2008 में पहला स्वर्ण निशानेबाजी में अभिनव बिंद्रा के माध्यम से जीत पाया।’’ उन्होंने कहा कि भारत ने 2000 के सिडनी ओलंपिक में कर्नम मल्लेश्वरी के माध्यम से भारोत्तोलन में पहला महिला पदक जीता। उन्होंने कहा कि 120 वर्ष तक देश को ‘ट्रैक एंड फील्ड’ में एक भी पदक नहीं मिला।

नायडू ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में तोक्यो ओलंपिक न केवल अभी तक के सर्वाधिक सात पदक लाने के मामले में बल्कि कई स्पर्धाओं में काफी करीब तक पहुंचने के लिहाज से हमारे देश के लिए सर्वोत्तम रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘तोक्यो ओलंपिक ने घटते विश्वास और आत्मसम्मान को बहाल करके हमारे देश के खेलों में राष्ट्रीय पुनर्जागरण का घोष किया है। ’’ नायडू ने कहा कि तोक्यो में गये 120 सदस्यीय भारतीय दल में से 55 खिलाड़ियों ने क्वार्टर फाइनल या उससे अधिक तक प्रदर्शन किया और प्रतिस्पर्धा के पदक दौर में अभी तक की सबसे अधिक दूरी तय की। पहली बार देश के पांच एथलीटों ने स्वर्ण पदक के लिए मुकाबला किया और 40 ने सेमी फाइनल तक जगह बनायी।

उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे निकट भविष्य में पदक तालिका में काफी सुधार होने की गुंजाइश है क्योंकि हमारे खिलाड़ियों ने नये विश्वास के साथ 2024 के पेरिस ओलंपिक में अपनी निगाहें टिका दी हैं। सभापति ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक हमारा तिरंगा 13 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद तोक्यो के ओलंपिक मैदान में लहराया तथा इस प्रकार के और क्षणों की बेताबी से प्रतीक्षा कर रहे 140 करोड़ की आबादी वाले राष्ट्र की आंखें उस समय नम हो गयीं जब हमारे राष्ट्र गान को बजाया गया। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले वर्षों में हमें ऐसे कई गौरवशाली क्षण देखने को मिलेंगे क्योंकि हमारे खिलाड़ी अब से जीतने की आदत बना लेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘युवा एवं विश्वास से भरे नीरज चोपड़ा ने सात अगस्त को हमारे दल की अंतिम स्पर्धा में देश को गौरव से भर दिया। प्रारंभ करो, शब्द के साथ ही उसने जिस प्रकार खेल के मैदान में दबदबा दिखाया, वह पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने हमारे लोगों में खुशी का संचार कर दिया क्योंकि यह ‘‘हम भी कर सकते हैं’’ का उद्घोष था। इस प्रक्रिया में उन्होंने दशकों से चल रही निराशा का पटाक्षेप कर विश्वास एवं उम्मीद के एक नये दौर का घोष किया। उनके कदमों ने बार-बार मिलने वाली निराशा तथा गंवाये जाने वाले प्रत्येक अवसर से कम होती उम्मीदों के घावों पर मरहम लगाया।’’ इसी दिन, उससे पहले पहलवान बजरंग पुनिया ने कांस्य पदक के साथ देश को गौरव प्रदान किया। घुटने में चोट होने के बावजूद पुनिया बहादुरी से लड़े और उनकी वजह से एक ही दिन में दो पदक मिल सके जो देश के लिए एक दुर्लभ अवसर था।

नायडू ने भारतीय पुरूष एवं महिला हाकी टीम तथा अन्य एथलीटों की भी सराहना की। सदस्यों ने मेजें थपथपा कर तोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की सराहना की। लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने तोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक श्रेणी में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इससे देश में उमंग का वातावरण है। उन्होंने कुश्ती में बजरंग पूनिया द्वारा कांस्य पदक जीतने का भी उल्लेख किया। बिरला ने अपनी और सदन की ओर से ओलंपिक में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने के लिए सभी भारतीय खिलाड़ियों को बधाई दी।

इनपुट-भाषा

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