नयी दिल्ली: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को रोजाना खानपान संबंधी दिक्कतों का सामने करने का खुलासा करने वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट में इस स्थिति पर नाराजगी जतायी गयी है। गृह मंत्रालय की स्थायी समिति की बुधवार को संसद में पेश रिपोर्ट में समिति ने सरकार को जवानों के लिये पोषक तत्वों से भरपूर भोजन की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने की सिफारिश की है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश के तमाम हिस्सों में कुछ जवान ऐसी अमानवीय परिस्थितियों में रहने को मजबूर है।
समिति ने इस पर नाराजगी जताते हुये कहा कि जवानों को हर हाल में अच्छी गुणवत्ता का भोजन मुहैया कराया जाना चाहिए। समिति इस बात पर नाराजगी जतायी है कि छत्तीसगढ़ में तैनात जवान बेहद कठिन परिस्थितियों में काम रह रहे हैं और इन परिस्थितियों में जान का जोखिम भी शामिल होने के अलावा प्रतिदिन अच्छे भोजन की उपलब्धता का अभाव भी सम्मिलित है।
समिति ने कहा कि जवानों को भोजन संबंधी जरूरी सामान के लिये स्थानीय बाजार (हाट) और ठेकेदारों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। समिति ने स्थानीय बाजार या हाट की पहुंच से दूर बस्तर जैसे इलाकों, में तैनात जवानों के लिये भोजन सामग्री की उपलब्धता के पुख्ता इंतजाम करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा कि गृह मंत्रालय ऐसे दुर्गम इलाकों में जवानों के लिये भोजन सामग्री की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु रेफ्रिजरेटर युक्त वाहनों की संभावना तलाश सकता है। साथ ही समिति ने मंत्रालय को खाद्य सामग्री की आपूर्ति की नियमित जांच के लिये निरीक्षक दलों गठित करने का भी सुझाव दिया।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अप्रैल में सीमा सुरक्षा बल के एक जवान ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल कर सीमा पर दुर्गम इलाकों में तैनात जवानों को दोयम दर्ज का खराब खाना मिलने की शिकायत की थी। हालांकि मामले की जांच में शिकायत गलत पाये जाने के आधार पर उक्त जवान को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
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