नई दिल्ली: दिल्ली स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकी अशरफ कोडिंग में एक्सपर्ट था और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करता था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उसे कोडिंग में महारथ हासिल है और इसका इस्तेमाल वह सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए करता था। जम्मू कश्मीर पुलिस, मिलिट्री इंटेलीजेंस के साथ-साथ आईबी भी पूछताछ कर रही है।
इस पाकिस्तानी आतंकी से पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि साल 2004-2005 में भारत आने के बाद पहले 5 साल इसने केवल अपनी पहचान बनाने और अपनी पहचान वाले डाक्यूमेंट्स तैयार करने में लगाए। इस काम के लिए अशरफ 2 साल अजमेर में एक हिन्दू परिवार के घर पर किराए पर रहा और वहां रेहड़ी पर काम करने लगा। इसके बाद बंगाल और बिहार की तरफ गया और वहां लोगों से संबंध बनाने में लग गया।
शुरुआत के 5 साल इसने कोई भी हरकत नहीं की केवल लोगों से पहचान बढ़ाई। इसके बाद साल 2009 से ये जम्मू कश्मीर में एक्टिव हुआ। वहां लगातार सेना के मूवमेंट पर नजर रख रहा था। अपने हैंडलर्स को जानकारी भेजने के लिए ये ड्राफ्ट में मेल सेव कर देता था। अशरफ 10वीं क्लास में अपने स्कूल का टॉपर रहा है। मैथ्स में इसकी बहुत अच्छी पकड़ है जिसका इस्तेमाल ये आईएसआई को सूचना देने के लिए करता था।
अशरफ अपनी सारी जानकारियां कोडिंग में देता था। सेना की गाड़ियों के नम्बर को अपनी दिहाड़ी मजदूरी बता कर सूचना देता था जिससे किसी को शक न हो। इसने शादी भी केवल इसीलिए की ताकि किसी घर में आसानी से एंट्री ले सके। 3 महीने के बाद इसने पत्नी को छोड़ दिया। जम्मू कश्मीर में हुई आतंक की 8 से 10 घटनाओं में इसने अपना हाथ होने की बात कबूल की है। लेकिन पुलिस इसकी बातों की तस्दीक कर रही है। तमाम एजेंसिया इससे पूछताछ कर रही है। जम्मू कश्मीर पुलिस और मिलिट्री इंटेलीजेंसी के साथ-साथ आईबी भी इसमे शामिल है।
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