नयी दिल्ली: फ्रांसीसी राजदूत एलेक्जेंडर जिगलर ने बृहस्पतिवार को उन खबरों को ‘फर्जी खबर’ करार दिया जिनमें कहा गया है कि पाकिस्तानी पायलटों के एक जत्थे को कतर एयरफोर्स द्वारा खरीदे गये राफेल लड़ाकू जेट विमानों पर प्रशिक्षण दिया गया। अमेरिकी विमानन उद्योग की वेबसाइट एआईएनऑनलाइन डॉट कॉम ने खबर दी थी कि नवंबर, 2017 में कतर से जुड़े राफेल लड़ाकू जेट विमानों पर पायलटों के जिस पहले जत्थे को प्रशिक्षण दिया गया है वे आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत आये पाकिस्तानी अधिकारी थे।
जिगलर ने ट्वीट किया, ‘‘मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि यह फर्जी खबर है।’’ फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने बताया कि किसी भी पाकिस्तानी पायलट को फ्रांस में राफेल जेट उड़ाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया। अमेरिकी वेबसाइट की इस खबर के बाद भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान की चिंता बढ़ गयी थी क्योंकि भारत भी 58,000 करोड़ रूपये में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जेट विमान खरीद रहा है।
समझा जाता है कि इस खबर के आने के बाद भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से संपर्क किया। फ्रांस सरकार ने भारत सरकार से कहा कि फ्रांस में किसी भी पाकिस्तानी पायलट को राफेल जेट विमानों को उड़ाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। वर्ष 2015 में कतर ने 24 राफेल जेट विमान खरीदने के लिए फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ सात अरब डॉलर का सौदा किया था। बाद में उसने 12 और ऐसे लड़ाकू विमानों की खरीद का आर्डर दिया था।
कतर को कुछ ही महीने पहले दसाल्ट ने पहला राफेल जेट विमान दिया है। पाकिस्तान और कतर के बीच मजबूत राजनीतिक और सैन्य संबंध है। अमेरिकी वेबसाइट की यह खबर ऐसे समय में आयी है जब फ्रांस से मोदी सरकार द्वारा राफेल जेट विमानों की खरीद को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस इस सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरते जाने का आरोप लगा रही है जबकि सरकार ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया है।
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