अमेरिका और रूस के बाद पाक के पास होंगे सबसे ज्यादा परमाणु हथियार
वाशिंगटन: अमेरिका के दो बड़े थिंकटैंकों ने आज कहा कि पाकिस्तान करीब एक दशक में लगभग 350 परमाणु हथियार रखने की दिशा में अग्रसर है जो अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे
वाशिंगटन: अमेरिका के दो बड़े थिंकटैंकों ने आज कहा कि पाकिस्तान करीब एक दशक में लगभग 350 परमाणु हथियार रखने की दिशा में अग्रसर है जो अमेरिका और रूस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा परमाणु शस्त्र भंडार होगा और यह भारत के परमाणु हथियारों से दोगुना होगा। दो जानेमाने विद्वानों टॉम डाल्टन और मिशेल क्रेपन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले पांच से 10 साल में पाकिस्तान न केवल भारत से दोगुने परमाणु हथियार रख सकता है बल्कि ये ब्रिटेन, चीन और फ्रांस के हथियारों से भी ज्यादा हो सकते हैं। इससे यह अमेरिका और रूस के बाद तीसरा सबसे बड़ा परमाणु शस्त्र भंडार होगा।
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स्टिमसन सेंटर और कार्नेजी एंडॉमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा जारी 48 पृष्ठ की रिपोर्ट ए नॉर्मल न्यूक्लियर पाकिस्तान के अनुसार, अगर पाकिस्तान मौजूदा रास्ते पर चलता रहा और भारत के साथ प्रभावी तरीके से प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत की उसकी धारणा का पुन: मूल्यांकन नहीं किया गया तो पाकिस्तान 10 साल में करीब 350 परमाणु हथियार का भंडार कर सकता है। परिणामस्वरूप अगर नई दिल्ली इस होड़ में रफ्तार पकड़ ले तथा पाकिस्तान उसी हिसाब से प्रतिक्रिया दे तो भविष्य में पाकिस्तान का परमाणु भंडार 350 परमाणु शस्त्रों से आगे निकल सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, अगर रोकथाम में सफलता नहीं मिल रही तो लगता है कि पाकिस्तान का भारत के साथ परमाणु युद्ध में हारने का कोई इरादा नहीं है। दोनों संगठनों ने कहा कि पाकिस्तान जिस तरह से भारत की परमाणु और परंपरागत सैन्य क्षमताओं के मामले में आगे निकलना चाहता है या कम से कम उसके समान होना चाहता है, उसमें परमाणु संबंधी भविष्य पाकिस्तान के लिए भारत से ज्यादा निराशाजनक लगता है। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों की सामाजिक जरूरतें हैं लेकिन भारत अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय व्यापार के चलते इस लिहाज से अधिक संसाधन रखता है। इसमें कहा गया कि इतना बड़ा परमाणु शस्त्र भंडार रखने पर भारी आर्थिक लागत आएगी। मौजूदा रख पर कायम रहते हुए पाकिस्तान के असैन्य और सैन्य नेतृत्व को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए बहुत कठिन बजटीय फैसले लेने होंगे।
रिपोर्ट कहती है, बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती सामाजिक और शैक्षिक जरूरतें, उर्जा संबंधी अभावों और बढ़ती जरूरतों के साथ ही पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को स्थिर करने के लिहाज से कानून प्रवर्तन तथा न्यायपालिका को मजबूत करने की आवश्यकता के चलते इस्लामाबाद परमाणु शस्त्रों के लिए भुगतान का बोझ नहीं उठा सकेगा।