नई दिल्ली: पीओके का नाम सुनकर अकसर आपके ज़ेहन में ख़्याल आता होगा सरहद पार का वो कश्मीर जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया हुआ है लेकिन पीओके सिर्फ मुजफ्फराबाद तक ही नहीं है। हिंदुस्तान जब भी पीओके को वापस लेने की बात करता है तो उसमें वो हिस्सा भी शामिल है जिसे गिलगित-बाल्टिस्तान कहते हैं। यही वजह है कि कश्मीर से 370 हटने के बाद से पाकिस्तानी हुक्मरानों का हलक सूखा जा रहा है। पाकिस्तानियों को अहसास हो चुका है कि पीओके में कुछ बड़ा होने वाला है। पाकिस्तानियों के खौफ की वजह उस इलाके को लेकर भी है जहां असली खजाना है।
गिलगित-बाल्टिस्तान पीओके का उत्तरी हिस्सा है। करीब 73 हजार स्क्वायर किलोमीटर में फैले इस इलाके के उत्तर में अफगानिस्तान की सरहद है तो उत्तरपूर्व में चीन के शिन्जियांग प्रोविंस का हिस्सा लगता है। गिलगित-बाल्टिस्तान की कुल आबादी करीब 25 लाख है।
गिलगित-बाल्टिस्तान धरती के ऊपर जन्नत है तो धरती के नीचे अनमोल धरोहर छिपी हुई है। यहां सोना, प्लैटिनम, कोबाल्ट जैसे मिनरल्स की खाने मौजूद हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक गिलगित-बाल्टिस्तान में 1480 सोने की खदानें हैं जिनमें से 123 खानों में सबसे बेहतर क्वालिटी का सोना है। इसके अलावा बालटॉरो नाम का एक मशहूर ग्लेशियर भी यहीं मौजूद है।
पीओके पर अवैध कब्जे के बाद से ही पाकिस्तानी हुक्मरानो ने गिलगिट-बाल्टिस्तान को जमकर लूटा है। गिलगिट घाटी के जर्रे-जर्रे पर पाकिस्तान के सियासी लुटेरों के निशान मौजूद हैं लेकिन अब पाकिस्तान के पापों का पैमाना भर चुका है। पाकिस्तान को मुजफ्फराबाद के साथ ही गिलगित से भी गठरी उठाने का अल्टीमेटम मिल चुका है।
72 साल से पाकिस्तान ने गिलगिट-बाल्टिस्तान के संसाधनों को खुद तो लूटा ही इस लूट में उसने चीन को भी साझीदार बना लिया। हालात ये है कि गिलगित-बाल्टिस्तान में आज चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश किया हुआ है और यहां हाईवे से लेकर डैम बना रहा है। पाकिस्तान ने गिलगिट-बाल्टिस्तान को लूटा ही उसमें दहशतगर्दी के अड्डे भी बना दिए जहां आतंकियों को ज़हरीली तकरीरों के सहारे बारूदी तालीम दी जाती है।
पिछले कुछ साल के दौरान गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान ने बड़ी तादाद में चीनी समेत बाहरी लोग बसा दिए हैं। पाकिस्तानी हुक्मरानों को पता है कि दिन मुकर्रर है जब कश्मीर घाटी की तरह ही पीओके के कोने-कोने में हिंदुस्तान का परचम लहराएगा। वैसे तो मुजफ्फराबाद की तरह गिलगित में भी पाकिस्तान से आजादी के नारे सात दशक के गूंज रहे हैं लेकिन कश्मीर में 370 खत्म होने के बाद से सिलसिला तेज हो गया है। सरहद पार के कश्मीर से उठने वाली इन आवाज़ों ने पाकिस्तानी हुक्मरानों की नींद उड़ा दी है। पाकिस्तान की बौखलाहट की वजह भी यही है। यूएन में मुंह की खाने के बाद कश्मीर को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट में गिड़गिड़ाने की वजह भी यही है।
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