1965 युद्ध की स्वर्ण जयंती: पाकिस्तान ने युद्ध में क्या खोया
नई दिल्ली: पाकिस्तान के साथ साल 1965 के युद्ध में मिली जीत की स्वर्ण जयंती के अवसर पर नई दिल्ली के चेम्सफोर्ड क्लब में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज एक खास आयोजन रखा
नई दिल्ली: पाकिस्तान के साथ साल 1965 के युद्ध में मिली जीत की स्वर्ण जयंती के अवसर पर नई दिल्ली के चेम्सफोर्ड क्लब में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज एक खास आयोजन रखा गया। इस आयोजन में प्रिंट, वेब और ब्राडकॉस्ट जर्नलिज्म में 35 साल से कार्यरत देश के जाने माने पत्रकार नितिन ए गोखले ने इस युद्ध के बारे में खास तथ्यों का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के साथ हुए इस युद्ध से जुड़ी ऐसी काफी सारी बातें हैं जिन्हें या तो लोग नहीं जानते हैं या जिन्हें लोगों ने भुला दिया है। गोखले ने बताया कि तात्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उस समय देश के सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा था कि हथियारों का जवाब हथियार से दिया जाएगा। गोखले ने यह भी बताया कि 60 के दशक में भारत की आर्थिक स्थिति पाकिस्तान से भी ज्यादा खराब भी। गोखले ने इस युद्ध के बारे में कई खास बातें बताईं।
साल 1965 ऑपरेशन गिब्राल्टर-
इस अभियान के तहत पाकिस्तानी सेना की एक टुकड़ी ने कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश की थी। आतंकियों ने स्थानीय लोगों को पैसे देकर हमले के ठिकानों की जानकारी लेनी चाही। लेकिन स्थानीय लोगों ने उनसे पैसे लेकर दो आतंकियों को पकड़ा दिया। इन आतंकियों के आंखों में पट्टी बंधी फोटो उन दिनों अखबारों के जरिए सामने आई थी। उन्होंने बताया कि यह अभियान फेल हो गया। इसके बाद पाकिस्तान ने ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम की योजना बनाई। उन्होंने यह भी बताया कि तब भारत और पाकिस्तान की सीमा को LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) नहीं CFL (सीज फायर लाइन) कहा जाता था। उन्होंने आगे बताया कि भारतीय सेना ने 1 सितंबर 1965 को छम्भ सेक्टर पर हमला किया। उस वक्त पाकिस्तान के फील्ड मार्शल अयूब खान थे और उनके विफल होने पर याइया खान को कमान दी गई। इसके बाद भारतीय सेना ने सियालकोट पर चढ़ाई की।
विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा टैंक बैटल-
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ये सबसे बड़ा टैंक बैटल था जिसमें टैंकों का प्रमुखता से इस्तेमाल किया गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने पैटन (PATTON) टैंक का इस्तेमाल किया था। हालांकि पाकिस्तानी सेना इन टैंकों के इस्तेमाल के लिए अभ्यस्थ नहीं थी। वहीं भारतीय सेना जिन टैंकों का इस्तेमाल कर रही थी वो उनका 20 सालों से इस्तेमाल कर रहे थे। गोखले ने बताया कि उस दौरान भारत ने पाकिस्तानी सेना को पंजाब की दहलीज से पहले रोकने के लिए गन्ने के खेतों में पानी छोड़ दिया था जिसके कारण वो आगे नहीं बढ़ पाए और वो वहीं टैंक छोड़कर भाग गए। भारतीय सेना ने इन टैंकों को ध्वस्त कर दिया।
तब सेना में नहीं था नॉर्दन कमांड-
उन्होंने बताया कि उस वक्त सेना में नॉर्दन कमांड नहीं था। तब वेस्टर्न कमांड ही था जिसमें कश्मीर से लेकर कच्छ तक का हिस्सा आता था।
अगली स्लाइड में पढ़ें हमले की योजना किसने बनाई