फिल्म पद्मावती में राजपूतों की आन-बान-शान के साथ कोई गुस्ताखी नहीं: रजत शर्मा
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती में राजपूतों की आन-बान-शान के खिलाफ कोई भी सीन, संवाद या सिक्वेंस नहीं है। इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राजपूतों के गौरवशाली इतिहास के खिलाफ हो।
नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती में राजपूतों की आन-बान-शान के खिलाफ कोई भी सीन, संवाद या सिक्वेंस नहीं है। इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राजपूतों के गौरवशाली इतिहास के खिलाफ हो। यह बात इंडिया टीवी के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने पद्मावती देखने के बात कही। इंडिया टीवी पर प्रसारित अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में उन्होंने कहा, 'फिल्म देखने के बाद मैं दावे से कह सकता हूं कि इस पूरी फिल्म को देखने के बाद कोई नहीं कह पाएगा कि एक भी डॉयलॉग या एक भी सीन या एक भी सिक्वेन्स या फिर पूरी फिल्म की थीम में कहीं कुछ ऐसा है जो हमारे राजपूती गौरवशाली इतिहास के खिलाफ हो।'
रिसर्च करके बनाई फिल्म
उन्होंने कहा कि 'संजय लीला भंसाली ने पूरी रिसर्च करके फिल्म बनाई है। फिल्म बनाते वक्त हिन्दुस्तान के गौरव का ख्याल रखा है। राजपूतों की परंपरा और उनके शिष्टाचार का ध्यान रखा है। पूरी फिल्म में हमारे शानदार इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। मुझे लगता है कि महाराजा रतन सिंह की जाबांजी। महारानी पद्मावती का रणनीतिक कौशल, अदम्य साहस, बलिदान की कहानी है संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती'
खिलजी षड्यंत्रकारी खलनायक
उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ महीनों से राजपूतों को लग रहा है कि संजय लीला भंसाली ने फिल्म में राजपूतों की आन-बान-शान के साथ गुस्ताखी की है। कोई कह रहा है कि भंसाली ने महाराजा रतन सिंह को कमजोर दिखाया। उन्हें खिलजी के सामने झुका हुआ दिखाया और अलाऊद्दीन खिलजी को हीरो के तौर पर पेश किया गया है लेकिन पूरी फिल्म देखने के बाद कोई भी चकित रह जाएगा कि भंसाली ने पूरी फिल्म में खिलजी को एक षड्यंत्रकारी खलनायक के रूप में चित्रित किया है, और रावल रतन सिंह को एक बहादुर राजा के तौर पर दिखाया है।
इतिहास से कोई छेड़छाड़ नहीं
रजत शर्मा ने कहा, 'लोकेन्द्र सिंह कलवी राजपूत हैं और महाराजा रतन सिंह और रानी पद्मावती के वंशज हैं। उन्होंने जब यह आरोप लगाया कि उनके समुदाय को इस फिल्म में गलत तरीके से पेश किया गया है तब मुझे भी बुरा लगा लेकिन जब आज मैंने फिल्म देखी तो मुझे लगा कि मैं भ्रम में था। पूरी फिल्म देखने के बाद में यही कह सकता हूं कि कोई जब इस फिल्म को देखेगा तब उसे अपनी विरासत, इतिहास के साथ ही रतन सिंह और पद्मावती के बलिदान पर गर्व होगा। संजय लीला भंसाली की फिल्म में गौरवशाली राजपूती इतिहास से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है....महाराजा रतन सिंह और रानी पद्मावती की बहादुरी के किस्से वैसा ही दिखाया गया है जैसा हमने बचपन से सुना है।'
रनिवास में डांस
रजत शर्मा ने कहा, 'फिल्म में रानी पद्मावती के डांस सिक्वेंस को लेकर सवाल उठाए गए। मैं भी राजस्थान से हूं...मैं भी राजपूती शान और संस्कृति से पूरी तरह वाकिफ हूं। मैं भी ये जानता हूं कि राजपूत रानियां सबके सामने खुलेआम डांस नहीं करतीं। लेकिन इस बात से तो सब सहमत होंगे कि रनिवास में रानियां डांस करती थीं जहां सिर्फ महिलाएं होती थीं जो कि रानियों की सहेलियां होती थीं। वहां रानि के पति को किसी पुरूष को जाने की इजाजत नहीं होती थी। सिर्फ राजा बैठकर डांस देख सकते थे। फिल्म पद्मावती में यही दिखाया गया है। प्रोमो देखकर ऐसा लग सकता कि रानी किसी खुली जगह में या महल के अंदर सैकड़ों के सामने डांस कर रहीं हैं लेकिन ऐसा है नहीं। रानी पद्मावती को खुशी से महल के अंदर रनिवास में डांस करते हुए दिखाया गया है।'
अफवाह पर आधारित गुस्सा
'मैं उन लोगों की भावनाओं को समझता हूं जिन्हें इस फिल्म से ठेस पहुंची है लेकिन उनका गुस्सा केवल अफवाह पर आधारित है। मेरी इन लोगों से विनम्र अपील है कि मेरे सभी राजपूत भाई और बहनें एकबार इस फिल्म को देख लें उसके बाद फैसला करें। वे लोग निश्चित तौर पर यह महसूस करेंगे कि इस फिल्म में राजूपतों की आन-बान-शान को ऊंचा उठाया गया है। रानी पद्मावती और रावल रतन सिंह के बलिदान को देखकर इस महान देश के हर बच्चे को गर्व महसूस होगा।'