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Hindi News भारत राष्ट्रीय सबरीमला में मंगलवार को 32000 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, 12 वर्षीय युवती को वापस भेजा गया

सबरीमला में मंगलवार को 32000 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, 12 वर्षीय युवती को वापस भेजा गया

केरल के सबरीमला मंदिर में मंगलवार को करीब 32,000 श्रद्धालुओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए।

Devotees stand in queues to offer prayers at the Lord Ayyappa temple- India TV Hindi Image Source : PTI Devotees stand in queues to offer prayers at the Lord Ayyappa temple

सबरीमला (केरल): केरल के सबरीमला मंदिर में मंगलवार को करीब 32,000 श्रद्धालुओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए। वहीं, पुडुचेरी से आई 12 वर्षीय लड़की को पारंपरिक रूप से प्रतिबंधित उम्र की होने की वजह से पुलिस ने पम्पा आधार शिविर से ही वापस भेज दिया। पुलिस ने सोमवार को भी 10 से 50 वर्ष की दो महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने से रोक दिया था। शनिवार को मंदिर के कपाट खुलने के बाद भी आंध्र प्रदेश से एक समूह में आई प्रतिबंधित उम्र की 10 महिलाओं को लौटा दिया गया था। 

त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड (टीडीबी) के सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को करीब 32,000 श्रद्धालुओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए। उन्होंने बताया कि 16 नवंबर को मंदिर के कपाट खोले जाने के बाद से श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी आई है। माना जा रहा है कि दोपहर में हुई भारी बारिश की वजह से श्रद्धालुओं को यहां आने में मुश्किल आ रही है। सूत्रों ने बताया कि गर्भगृह तक जाने वाली 18 पवित्र सीढ़ियों पर तैनात पुलिसकर्मी भारी बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं की मदद करते रहे। उन्होंने बताया कि मंगलवार सुबह दस बजे तक 9.6 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन के लिए बुकिंग की है। 

सूत्रों ने बताया कि 12 वर्षीय लड़की पिता के साथ सबरीमला मंदिर दर्शन करने आई थी। ऑनलाइन बुकिंग के दौरान उसकी उम्र 10 साल बताई गई थी। पुलिस ने बताया कि जब महिला पुलिसकर्मी ने लड़की के आधार कार्ड की जांच की तो पाया कि उसकी उम्र 12 साल है जिसके बाद उसे पम्पा आधार शिविर से आगे सबरीमला मंदिर परिसर जाने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने बताया कि लड़की के साथ आए लोगों को सबरीमला की स्थिति की जानकारी दी गई जिसके बाद पिता और अन्य ने उसके बिना आगे की यात्रा शुरू की। 

उल्लेखनीय है कि सोमवार को नौ वर्षीय केरल की एक लड़की भगवान अयप्पा के दर्शन करने आई थी। उसके गले में परंपरा के समर्थन में नारे लिखी तख्ती लगी थी जिसपर लिखा था, ‘‘ इंतजार करने को तैयार हूं, 50 साल की उम्र होने के बाद सबरीमला मंदिर आऊंगी।’’ पम्पा आधार शिविर सबरीमला मंदिर से करीब पांच किलोमीटर दूर है। भगवान अयप्पा के मंदिर को 16 नवंबर को शाम पांच बजे दो महीने चलने वाले मंडल-मकरविलक्कू पूजा के लिए खोला गया था। 

इस बीच, केरल में विपक्षी गठबंधन ‘संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा’ (यूडीएफ) के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को पम्पा और नीलक्कल आधार शिविर में श्रद्धालुओं को दी जा रही सुविधाओं का जायजा लिया और दावा किया कि यह अपर्याप्त है। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे तिरुवनचूर राधाकृष्णन और पी जे जोसेफ ने कहा कि पार्किंग की सुविधा पर्याप्त नहीं है और राज्य की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार तीर्थ यात्रियों को पर्याप्त सुविधा देने में नाकाम रही है। 

राधाकृष्णन ने कहा कि श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो सकती है लेकिन आधार शिविरों में शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाओं की कमी है। वहीं, दो महीने लंबी तीर्थ यात्रा के दौरान केरल जल प्राधिकरण (केडब्ल्यूए) ने रोजाना 130 लाख लीटर पानी उपलब्ध कराने का फैसला किया है। केडब्ल्यूए ने कहा कि पम्पा में 60 लाख लीटर और शन्निधानम में 70 लाख लीटर पानी की आपूर्ति की जाएगी। 

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 28 सितंबर 2018 को सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी। इस आदेश को राज्य की एलडीएफ सरकार ने लागू करने का फैसला किया था जिसके बाद राज्य और मंदिर परिसर दक्षिणपंथी संगठनों और भाजपा के विरोध प्रदर्शन का गवाह बना था। 

हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने अपने पूर्व के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई है लेकिन इस बार राज्य सरकार ने कहा है कि मंदिर आंदोलन का अखाड़ा नहीं है और प्रचार के लिए आने वाली महिलाओं को वह प्रोत्साहित नहीं करेगी। सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और अन्य धर्मों से जुड़े मामलों को उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने वृहद पीठ को भेज दी है।

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