नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित एक ब्लड बैंक में 22 मुस्लिम लैब टेक्नीशियन की भर्ती का मुद्दा अब तूल पकड़ने लगा है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य की ममता सरकार सिर्फ मुस्लिमों को राज्य में नौकरी दे रही है। लिहाजा, भाजपा अब इस मुद्दे को राज्य में भुनाने की तैयारी में है। बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने कहा, "मालदा में सिर्फ मुस्लिमों को लैब टेक्नीशियन बहाल किए जाने का मुद्दा सिर्फ एक बानगी भर है, ममता सरकार एक रणनीति के तहत सिर्फ मुस्लिम लोगों को ही नौकरी दे रही है, सिर्फ मुस्लिम वोटों की तुष्टीकरण कर रही है।"
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को ऐसा लगता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में 30 फीसदी मुस्लिम ही उनको वोट करेंगे, बाकी 70 फीसदी आबादी उनके विपक्ष में वोट करने जा रही है। भाजपा सांसद ने कहा कि ममता सरकार की नीतियों की वजह से 70 फीसदी बहुसंख्यक ही नहीं, बल्कि बंगाली मुसलमान भी परेशान हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण चौबीस परगना जिले में कुछ दिनों पहले बंगाली मुसलमानों ने एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया था।
उन्होंने कहा कि ममता की सरकार 70 फीसदी बहुसंख्यक लोगों के साथ नाइंसाफी कर रही है। उनका कहना है कि ये तो एक मामला सामने आया है, पता नहीं और कितने मामले छिपे हुए हैं। भाजपा ने इस मुद्दे को तूल देना शुरू कर दिया है। प्रदेश भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे को ट्वीट कर हवा बनानी शुरू कर दी है। प्रदेश भाजपा इस मुद्दे पर घर-घर जाने और जन आंदोलन चलाने की तैयारी में है।
इधर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत के पूर्व प्रचार प्रमुख राजीव तुली ने ममता सरकार की इन नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि आखिर ओबीसी कोटे के तहत इन लोगों की भर्ती कैसे की गई? सरकार ने यह कैसे तय किया? इन सभी मामलों पर सरकार खुलासा करे।
गौरतलब है कि साल 2019 में मालदा जिले के ब्लड बैंक में 22 लैब टेक्नीशियन की भर्ती निकाली गई थी, और सभी 22 पदों पर मुस्लिम अभ्यर्थियों की भर्ती की गई। दिलचस्प यह है कि इन सभी अभ्यर्थियों की भर्ती ओबीसी कोटे के तहत की गई है। जिन 22 लैब टेक्नीशियन की भर्ती की गई है, उसमें से सिर्फ एक महिला है।
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