पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने की प्रक्रिया तनातनी की स्थिति के समाधान के लिये है: विदेश मंत्रालय
भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने के संबंध में जारी प्रक्रिया, चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनातनी की स्थिति के समाधन को लेकर है।
नयी दिल्ली: भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में पीछे हटने के संबंध में जारी प्रक्रिया, चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनातनी की स्थिति के समाधन को लेकर है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत के रूख में कोई बदलाव नहीं आया है तथा एकतरफा ढंग से यथास्थिति में किसी तरह के बदलाव का प्रयास अस्वीकार्य होगा।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन स्थापित कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति को लेकर बातचीत कर रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूरी तरह से पीछे हटने और सीमावर्ती क्षेत्रों में पूरी तरह से शांति बहाल करने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष पूरी तरह से पीछे हटने के उद्देश्य को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
भारत और चीन स्थापित कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति को लेकर बातचीत कर रहे हैं और इनके परिणामों को हासिल करने के लिये इसे जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत के रूख में कोई बदलाव नहीं आया है। हम पूरी तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान करने को प्रतिबद्ध हैं। एलएसी को लेकर एकतरफा ढंग से यथास्थिति में किसी तरह का बदलाव करने का प्रयास अस्वीकार्य है। ’’
प्रवक्ता ने कहा कि एलएसी पर पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है और इसलिये त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट से बचने की जरूरत है। मंत्रालय का यह बयान तब आया है जब हाल में ही दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच चौथे दौर की बैठक हुई। बहरहाल, श्रीवास्तव ने कहा कि सीमा मुद्दे पर भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 5 जुलाई 2020 को टेलीफोन पर बातचीत की थी।
इसके बाद 10 जुलाई को भारत चीन सीमा मामलों पर विचार विमर्श एवं समन्वय के लिये कार्यकारी तंत्र की एक बैठक हुई। उन्होंने कहा कि इस बैठक में दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूरी तरह से पीछे हटने और सीमावर्ती क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकाल के तहत से पूरी तरह से शांति बहाल करने पर सहमति व्यक्त की।
प्रवक्ता ने कहा कि इसी परिप्रेक्ष्य में भारत और चीन के वरिष्ठ कमांडरों ने 14 जुलाई को चुशूल में चौथी बैठक की । वरिष्ठ कमांडरों ने पहले चरण में सीमा से सेनाओं को पीछे हटाने के लिए हुई बातचीत के बिंदुओं के कार्यान्वयन पर हुई प्रगति की समीक्षा की और जितनी जल्दी हो सके, पूरी तरह सीमाओं से सेनाओं को पीछे हटाने के कदमों को सुनिश्चित करने पर चर्चा की।
गौरतलब है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृतव लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जो लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर हैं। चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लियु लिन ने किया, जो दक्षिण शिंजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर हैं। प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिमी सेक्टर पर पीछे हटने की प्रक्रिया अभी जारी है और यह खास तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों से जुड़ी तानातनी की स्थिति के संबंध में है।
श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्षों ने कुछ विशिष्ठ जगहों पर नियमित पोस्ट पर एलएसी में अपनी अपनी ओर तैनाती पर सहमति जतायी है। उन्होंने कहा कि यह वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच सहमति पर आधारित है। दोनों पक्षों की ओर से आपसी सहमति पर आधारित पारस्परिक कदम उठाये जायेंगे।