नई दिल्ली. भारत सरकार द्वारा वन रैंक वन पेंशन को लागू किए पांच साल पूरे हो चुके हैं। भारत सरकार द्वारा भारतीय सेना के जवानों के फायदे वाली इस योजना को लेकर निर्णय 7 नवंबर 2015 को लिया गया था। ये योजना 1 जुलाई 2014 से लागू की गई थी। वन रैंक वन पेंशन के अंतर्गत 30 जून 2014 तक रिटायर हुए सेना के जवानों को शामिल किया गया था। करीब 45 साल लंबे संघर्ष के बाद पूर्व सैनिकों को 'वन रैंक-वन पेंशन' का फायदा मिल सकता।
क्या है OROP?
वन रैंक वन पेंशन के अंतर्गत एक रैंक पर रिटायर हुए सैन्य कर्मियों को एक समान अवधि के लिए एक समान पेंशन का भुगतान किया जाता है, चाहे सैन्य कर्मियों की रिटायरमेंट की तारीख जो भी हो। इस तरह से ओआरओपी विभिन्न समय में रिटायर हुए सैन्य कर्मियों को एक समान पेंशन का दिलवाता है।
कितने लोगों को हो चुका है फायदा
OROP के तहत 10795.4 करोड़ रुपये 20 लाख 60 हजार 220 पूर्व सैनिकों/उनके परिवार को arrears के रूप में दिया जा चुका है। OROP पर खर्च होने वाली सालाना राशि करीब 7123.38 करोड़ रुपये है, जो पिछले छह साल में करीब 42740.28 करोड़ रुपये हुई। OROP के तहत पूर्व सैनिकों को 7th CPC के तहत भी फायदा दिया गया
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