नई दिल्ली: भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ सिर्फ बहस का मुद्दा ही नहीं बल्कि देश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निरंतर चुनावों से विकास के कार्य बाधित होते हैं और इसमें बहुत सारा खर्च भी होता है। एक बयान के मुताबिक पार्टी द्वारा इस विषय पर आयोजित एक वेबीनार को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ से देश के सभी राज्यों में विकास कार्यों में तेजी आएगी।
उन्होंने कहा कि निरंतर होने की बजाए यदि चुनाव पांच साल में एक बार होंगे तब भी लोकतंत्र की जड़ें मजबूत रहेंगी। निरंतर चुनावों के कारण विकास कार्य कैसे अवरूद्ध होते हैं, उसके उदाहरण के रूप में उन्होंने बताया कि चुनाव चाहे लोकसभा के हों या विधानसभा के या फिर स्थानीय निकायों के, आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने की वजह से सरकारें विकास के काम नहीं कर पाती हैं। इसकी वजह से चुनाव के मुद्दे सुशासन को पीछे छोड़ देते हैं।
यादव ने उन आशंकाओं को भी निर्मूल बताया कि एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होने से क्षेत्रीय दलों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में कई दफा किसी न किसी राज्य में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ हुए और नतीजे अलग-अलग आए। इस संदर्भ में उन्होंने ओडिशा का उदाहरण दिया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए और कहा कि इस विषय पर व्यापक चर्चा और आम सहमति बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ देश के लिए समय की मांग है।
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