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Hindi News भारत राष्ट्रीय बिना पढ़े 15 मिनट बोलने की प्रधानमंत्री की चुनौती पर उमर अब्दुल्ला ने किया ट्वीट, लिखा- उम्मीद है, स्वीकार करेंगे राहुल

बिना पढ़े 15 मिनट बोलने की प्रधानमंत्री की चुनौती पर उमर अब्दुल्ला ने किया ट्वीट, लिखा- उम्मीद है, स्वीकार करेंगे राहुल

नेशनल कांग्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को उम्मीद जतायी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर्नाटक सरकार को लेकर बिना कोई कागज पढ़े 15 मिनट तक बोलने की चुनौती स्वीकार करेंगे।

<p><strong style="color: #333333; font-family: sans-serif,...- India TV Hindi Image Source : PTI  नेशनल कांग्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला।

श्रीनगर: नेशनल कांग्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को उम्मीद जतायी कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कर्नाटक सरकार को लेकर बिना कोई कागज पढ़े 15 मिनट तक बोलने की चुनौती स्वीकार करेंगे ताकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह साफ करने को कह सकें कि कठुआ में बलात्कार एवं हत्या का मामला क्यों ‘ छोटा मुद्दा ’ है। अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा , ‘‘ मैं उम्मीद करता हूं कि राहुल गांधी माननीय प्रधानमंत्री की चुनौती स्वीकार करेंगे एवं बिना किसी कागज के कर्नाटक सरकार के बारे में 15 मिनट तक बोलेंगे और इसके बाद फिर हम शायद माननीय प्रधानमंत्री से इस बात पर दो मिनट के लिए बोलने को कह सकते हैं कि आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार एवं हत्या की घटना क्यों एक ‘ छोटा मुद्दा ’ है। ’’ 

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कर्नाटक में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वह राज्य में सिद्धरमैया सरकार की उपलब्धियों के बारे में कागज का टुकड़ा पढ़े बिना ‘‘ किसी भी भाषा में ’’ 15 मिनट बोलकर दिखाएं। मोदी ने संतेमारनहल्ली में एक चुनावी रैली में कहा , ‘‘ मैं कांग्रेस अध्यक्ष को चुनौती देता हूं कि वह अपनी पार्टी की सरकार की उपलब्धियों पर कागज का टुकड़ा पढ़े बिना कर्नाटक में हिन्दी , अंग्रेजी या अपनी मां की मातृभाषा में 15 मिनट बोलकर दिखाएं ... कर्नाटक के लोग अपना खुद का निष्कर्ष निकाल लेंगे। ’’ 

अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री की चुनौती को भाजपा नेता एवं जम्मू - कश्मीर के नवनियुक्त उप मुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता की कठुआ की घटना से जुड़ी विवादित टिप्पणी से जोड़ने की कोशिश की। गुप्ता ने कठुआ की घटना को लेकर कहा था कि यह एक ‘‘ छोटा मुद्दा है जिसे मीडिया को महत्व नहीं देना चाहिए। ’’ 

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