नयी दिल्ली: अधिकारियों ने आशंका जताई है कि पुलवामा जिले में बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवानों की आवाजाही के बारे में आतंकवादियों को जानकारी मिली होगी जिसके बाद उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी हमले में बृहस्पतिवार को सीआरपीएफ के 42 जवान शहीद हो गये। हमले के समय केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 2,500 से अधिक जवान घाटी में अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए लौट रहे थे। इनमें से ज्यादातर छुट्टियों के बाद वापस लौट रहे थे।
ये जवान 78 वाहनों के काफिले में लौट रहे थे कि इसी दौरान दक्षिण कश्मीर के अवंतीपुरा में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर यह हमला हुआ। सामान्यत: लगभग एक हजार जवान एक काफिले का हिस्सा होते है लेकिन इस बार यह संख्या 2,547 थी। अधिकारियों ने बताया कि मानक संचालन प्रक्रियाओं के उल्लंघन की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि खामियों की स्पष्ट तस्वीर व्यापक जांच के बाद ही साफ हो सकेगी।
एक सुरक्षा अधिकारी ने आशंका जताई, ‘‘सैनिकों की इतनी बड़ी आवाजाही को बहुत सारे लोग जानते होंगे। इस जानकारी के आतंकवादियों तक पहुंचने की आशंका है।’’ उन्होंने बताया कि इसके अलावा, घाटी जाने वाले कर्मियों की संख्या अधिक थी क्योंकि खराब मौसम और अन्य प्रशासनिक कारणों से राजमार्ग पर पिछले दो से तीन दिनों से कोई आवाजाही नहीं थी। उन्होंनें बताया कि संबंधित एजेंसियां सभी पहलुओं से हमले की जांच करेगी।
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