नई दिल्ली: केन्द्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है और उन्हें स्वास्थ्य, सफाई, मेडिकल और शैक्षणिक सुविधाए उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शीर्ष अदालत से कहा कि उसके 9 अप्रैल के आदेश के मद्देनजर एक विशेष दल का गठन किया गया था जिसने हरियाणा के मेवात और दिल्ली में कालिन्दी कुन्ज में शरणार्थी शिविरों का 23 और 24 अप्रैल को दौरा किया था। इस दल में स्वास्थ्य मंत्रालय के सदस्यों के साथ गृह मंत्रालय का एक प्रतिनिधि भी शामिल था।
केन्द्र ने बताया कि इस दल ने शिविरों में महिलाओं से बातचीत की और सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही सफाई, जल, मेडिकल और अन्य सुविधाओं का निरीक्षण किया। केन्द्र ने कोर्ट के आदेश के अनुरूप इन दो शिविरों में रोहिंग्या शरणार्थियों को उपलब्ध करायी जा रही सुविधाओं का विवरण देते हुए शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया। कोर्ट में यह आरोप लगाया गया था कि इन शिविरों में रोहिंग्या शरणार्थियों को पीने के पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधायें भी उपलब्ध नहीं हैं। कोर्ट इस मामले में 11 मई को आगे सुनवाई करेगा।
म्यांमार के हिंसाग्रस्त पश्चिमी राखिने राज्य से भाग कर भारत आए ये रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रह रहे हैं। इन्हीं में से दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद सलीमुल्ला और मोहम्मद शाकिर ने 40,000 से अधिक इन शरणार्थियों को वापस भेजने के केन्द्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है।
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