नई दिल्ली: देश में कोरोना रोधी टीकाकरण (Corona Vaccination) का तीसरा चरण आरंभ होने की तैयारियों के बीच एक सरकारी डेटा से पता चलता है कि तकरीबन सभी छोटे राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पूरी तरह या फिर काफी हद तक सरकार की चिकित्सा सुविधा इकाइयों पर निर्भर हैं।
सरकार के ‘कोविन’ पोर्टल के मुताबिक, 13 छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 10 से कम निजी चिकित्सा इकाइयां हैं, जहां कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण चल रहा है तथा इनमें से पांच राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में टीकाकरण के लिए कोई निजी चिकित्सा सुविधा केंद्र नहीं है।
इस डेटा से पता चलता है कि अंडमान एवं निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, दमन एवं दीव, लद्दाख और लक्षद्वीप में टीकाकरण के लिए कोई निजी चिकित्सा केंद्र नहीं है। इसके साथ ही दादरा एवं नगर हवेली में दो, मणिपुर में तीन, मेघालय में सात, नगालैंड में चार, पुडुचेरी में सात, सिक्किम में एक, त्रिपुरा में एक और मिजोरम में दो निजी चिकित्सा सुविधा इकाइयां हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहले बताया था कि कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के निजी चिकित्सा केंद्रों पर टीकाकरण नहीं हो रहा है क्योंकि वहां ऐसी सुविधाओं का अभाव है। उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु इकलौता राज्य है जहां 1000 से अधिक निजी चिकित्सा इकाइयों में टीकाकरण हो रहा है।
माना जा रहा है कि सरकार की टीकाकरण से जुड़ी नयी नीति से निजी अस्पतालों की भूमिका प्रमुख हो जाएगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोग कोविड-19 के रोकथाम के लिए टीका लगवा सकेंगे।
सरकार ने टीकाकरण अभियान में ढील देते हुए राज्यों, निजी अस्पतालों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को सीधे टीका निर्माताओं से खुराक खरीदने की अनुमति भी दे दी।
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