नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीदी के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को शुक्रवार को क्लीन चिट दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश इन विमानों के बगैर नहीं रह सकता है।
आइए, आपको बताते हैं कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातों के बारे में:
1. डील पर कोर्ट ने कहा कि वह सरकार को 126 या 36 विमान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।
2. कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे पर सवाल उस वक्त उठे जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने बयान दिया, यह न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं हो सकता है।
3. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भारतीय वायुसेना में राफेल की तरह के चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की जरूरत है।
4. कोर्ट ने कहा कि सितंबर 2016 में जब राफेल सौदे को अंतिम रूप दिया गया था, उस वक्त किसी ने खरीदी पर सवाल नहीं उठाया था।
5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।
6. सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के मामले में मोदी सरकार को क्लीन चिट दी।
7. राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है।
8. लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश लड़ाकू विमानों के बगैर नहीं रह सकता है।
9. कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया को लेकर हम संतुष्ट हैं और संदेह की कोई वजह नहीं है।
10. मोदी सरकार द्वारा रिलायंस को फायदा पहुंचाने के मामले पर कोर्ट ने साफ कहा, 'हमें कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिससे लगे कि कोई कॉमर्शल पक्षपात हुआ हो।'
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