गुरुग्राम: पद्मावत के विरोध के दौरान उस वक्त पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई जब बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा के गुरुग्राम में एक स्कूली बस पर पत्थर से हमला कर दिया। इसकी विचलित करने वाली तस्वीरें देख लोगों का खून खौल उठा और इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रदर्शनकारियों के खिलाफ प्रतिक्रिया आई थी। इस हमले के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाह उड़ाई गयी जिससे मामला ही कुछ और हो गया।
संभवत: स्कूली बस पर हमले की करतूत करने वालों से सहानुभूति रखने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर ये बात फैली दी कि बस पर हमला करने वाले करणी सेना के नहीं थे। आगे ये झूठ भी फैलाया गया कि मामले में मुस्लिम लड़कों की गिरफ्तारी हुई है। ऐसे ट्वीट करने वालों में वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल हैं जिन्हें बाद में माफी मांगनी पड़ी।
दरअसल यह घटना बुधवार की है जब गुरुग्राम के सोहना रोड पर स्कूली बस पर हमला हुआ तो उस समय बस में 30 बच्चे और 3 स्कूल टीचर सवार थे। अधिकारियों के अनुसार घटना घमरोज गांव के पास हुई जब भीड़ ने बस पर लाठियों और पत्थरों से हमला कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस घटना के बाद गुरुग्राम पुलिस ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया और गुरुवार को कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
इस पूरी घटना के बाद सोशल मीडिया पर इस घटना में मुस्लिम युवको के शामिल होने की अफवाह फैलाई जा रही थी और कुछ लोगो ने उनके नाम भी बताये थे। हलाकि गुरुग्राम पुलिस ने आरोपियों से सम्बंधित जानकारी साफ़ की और अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा कि हम यह साफ करना चाहते हैं कि हाल में हरियाणा रोडवेज़ औऱ स्कूली बच्चों की बस पर पथराव के मामले में किसी भी मुसलमान युवक को गिरफ्तार नहीं किया है।
गौरतलब है कि इस घटना को भी धर्म से जोड़ने की एक कोशिश नाकाम हो गयी और समय रहते पुलिस ने इस घटना को संभल लिया लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हर घटना में मुस्लिमो का नाम जोड़कर देश में सांप्रदायिक ज़हर घोला जा रहा है?
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