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Hindi News भारत राष्ट्रीय भारत ने कहा, ऑकस का क्वाड के कामकाज पर कोई असर नहीं होगा

भारत ने कहा, ऑकस का क्वाड के कामकाज पर कोई असर नहीं होगा

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि मैं स्पष्ट कर दूं कि क्वाड और ऑकस समान प्रकृति के समूह नहीं हैं क्वाड एक बहुपक्षीय समूह है।

AUKUS, AUKUS Quad, Quad, AUKUS Harsh Shringla, AUKUS Quad Harsh Shringla- India TV Hindi Image Source : PTI FILE विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि ऑकस 3 देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है।

नई दिल्ली: विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का नया सुरक्षा समझौता न तो क्वाड से संबंधित है और न ही समझौते के कारण इसके कामकाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा तथा दोनों समान प्रकृति के समूह नहीं हैं। श्रृंगला ने विवादास्पद गठबंधन पर भारत की पहली प्रतिक्रिया में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि ऑकस (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका) 3 देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है वहीं क्वाड एक मुक्त, खुले, पारदर्शी और समावेशी हिंद-प्रशांत के दृष्टिकोण के साथ एक बहुपक्षीय समूह है।

‘ऑकस 3 देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है’
श्रृंगला ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘ऑकस 3 देशों के बीच का एक सुरक्षा गठबंधन है। हम इस गठबंधन के पक्ष नहीं हैं। हमारे नजरिए से, यह न तो क्वाड के लिए प्रासंगिक है और न ही इसके कामकाज पर कोई प्रभाव पड़ेगा।’ ऑकस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को अमेरिका और ब्रिटेन से परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां बनाने की तकनीक मिलेगी। इस गठबंधन को दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामता का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। फ्रांस ने नए गठबंधन पर नाराजगी जताई है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप उसने ऑस्ट्रेलिया के लिए 12 पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए अरबों डॉलर के करार को खो दिया।

फ्रांस गठबंधन में शामिल नहीं किए जाने से नाराज
फ्रांस गठबंधन में शामिल नहीं किए जाने से भी नाराज है। चीन ने भी ऑकस के गठन की आलोचना की है। श्रृंगला ने कहा, ‘मैं स्पष्ट कर दूं कि क्वाड और ऑकस समान प्रकृति के समूह नहीं हैं क्वाड एक बहुपक्षीय समूह है।’ क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। विदेश सचिव ने कहा कि क्वाड के सदस्य देशों का हिंद-प्रशांत के प्रति साझा दृष्टिकोण है और वे इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्वाड ने मौजूदा कुछ मुद्दों के हल के लिए वैश्विक स्तर पर पहल की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ सकारात्मक व सक्रिय एजेंडा अपनाया है। 

‘ऑस्ट्रेलिया परमाणु-चालित पनडुब्बी पर काम कर रहा’
श्रृंगला ने कहा कि क्वाड के तहत पहलों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह सौदा परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के बेड़े को विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को समर्थन से संबंधित है। ऐसे में परमाणु प्रसार की आशंकाओं के बारे में पूछे जाने पर श्रृंगला ने मामले में कैनबरा की स्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘मैंने देखा कि ऑस्ट्रेलिया ने स्पष्ट किया है कि वे एक परमाणु-चालित पनडुब्बी पर काम कर रहे हैं। इसका मतलब है यह परमाणु प्रौद्योगिकी पर आधारित है, लेकिन उस पर कोई परमाणु हथियार नहीं होगा और इसलिए इससे परमाणु प्रसार के संबंध में ऑस्ट्रेलिया की किसी भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का उल्लंघन नहीं होगा।’

‘हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं’
अमेरिका के साथ भारत के रक्षा सहयोग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। मुझे लगता है कि अमेरिका के साथ अपने रक्षा संपर्क के स्तर से संतुष्ट होने का हर कारण हमारे पास है। यह एक साझेदारी है, यह जरूरतों की पारस्परिकता पर आधारित है।’

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